भंडारी, मन्नू

अकेली / द्वारा मन्नू भंडारी. - 1. saṃskaraṇa. - गाजियाबाद: रेमाधव पब्लिकेशन, 2007. - 240p.

Short stories.

Includes bibliography and index.

अकेली मन्नू भंडारी द्वारा लिखी गयी एक मनोवैज्ञानिक कहानी है। इस कहानी में एक ऐसी औरत का वर्णन है जो अपने पति के होते हुए भी अकेली है। उस स्त्री का नाम है सोमा। लोग प्यार से उसे सोमा बुआ कहते है।इस कहानी में सोमा बुआ के मानसिक संसार का वर्णन किया गया है। उसका सोचना , अलग अलग विषयों पर उसके विचार , परिस्थियों को वह किस प्रकार संभालती है आदि को इस कहानी में दिखाया गया है। पुत्र की मौत और पति के हरिद्वार चले जाने के बाद सोमा अकेली रह जाती है तथा अपने आप को समाज को सौंप देती है जिसका अर्थ है वह सामाजिक कामो में अपना मन लगा लेती है लेकिन वहाँ भी उसके पति उसमें रोक-टोक करते है। इस प्रकार हम देखते हैं कि"अकेली" कहानी सोमा नामक एक अकेली औरत के इर्द-गिर्द धूमती है तथा उसी के माध्यम से अपने उद्देश्य को प्रकट करती हैं।


In Hindi.

9788189914516


मन्नू भंडारी--हिंदी साहित्य--कृतियाँ
हिंदी उपन्यास--सामाजिक और व्यक्तिगत संघर्ष--कथा साहित्य
नारीवाद--स्त्री विमर्श और स्वायत्तता--साहित्य
भारतीय साहित्य--आधुनिक साहित्य--हिंदी
साहित्यिक विश्लेषण--मन्नू भंडारी के उपन्यास--अध्ययन
अकेलापन--सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलू--साहित्य

891.433 / BHA-A