सिंह, नामवर
सम्बोधित / Sambodhit/ Namwar Singh edited by:आशीष त्रिपाठी नामवर सिंह - नई दिल्ली : वाणी प्रकाशन, 2023
पाँच अध्यायों में विभक्त इस ग्रंथ में हिंदी समीक्षा के ऐतिहासिक विकासक्रम को दर्शाते हुए शुक्लोत्तर हिंदी समीक्षा के विस्तार, उपलब्धि तथा उसके प्रमुख समीक्षकों (हजारीप्रसाद द्विवेदी, नंददुलारे वाजपेयी, शांतिप्रिय द्विवेदी, नगेन्द्र, मुक्तिबोध, रामविलास शर्मा, अज्ञेय, निर्मला जैन, मैनेजर पाण्डेय) के समीक्षाकर्म के साथ ही नामवर सिंह के आलोचकीय रूप एवं उनके समीक्षात्मक कृतियों (नामवर सिंह के जिन कृतियों पर विहंगम दृष्टि डाली गयी है वे इस प्रकार से है- 'बक्लम खुद', 'हिंदी के विकास में अपभ्रंश का योग', 'छायावाद', 'आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ, 'पृथ्वीराज रासो : भाषा और साहित्य', 'इतिहास और आलोचना', कहानी नयी कहानी', 'कविता के नये प्रतिमान', 'दूसरी परम्परा की खोज', 'वाद विवाद संवाद) का विश्लेषणात्मक अनुशीलन करते हुए शुक्लोत्तर हिंदी समीक्षा में नामवर सिंह के अवदान की चर्चा प्रस्तुत की गई है।
9789355188304
Indian literature--Literary criticism
891.4 / SIN-S
सम्बोधित / Sambodhit/ Namwar Singh edited by:आशीष त्रिपाठी नामवर सिंह - नई दिल्ली : वाणी प्रकाशन, 2023
पाँच अध्यायों में विभक्त इस ग्रंथ में हिंदी समीक्षा के ऐतिहासिक विकासक्रम को दर्शाते हुए शुक्लोत्तर हिंदी समीक्षा के विस्तार, उपलब्धि तथा उसके प्रमुख समीक्षकों (हजारीप्रसाद द्विवेदी, नंददुलारे वाजपेयी, शांतिप्रिय द्विवेदी, नगेन्द्र, मुक्तिबोध, रामविलास शर्मा, अज्ञेय, निर्मला जैन, मैनेजर पाण्डेय) के समीक्षाकर्म के साथ ही नामवर सिंह के आलोचकीय रूप एवं उनके समीक्षात्मक कृतियों (नामवर सिंह के जिन कृतियों पर विहंगम दृष्टि डाली गयी है वे इस प्रकार से है- 'बक्लम खुद', 'हिंदी के विकास में अपभ्रंश का योग', 'छायावाद', 'आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ, 'पृथ्वीराज रासो : भाषा और साहित्य', 'इतिहास और आलोचना', कहानी नयी कहानी', 'कविता के नये प्रतिमान', 'दूसरी परम्परा की खोज', 'वाद विवाद संवाद) का विश्लेषणात्मक अनुशीलन करते हुए शुक्लोत्तर हिंदी समीक्षा में नामवर सिंह के अवदान की चर्चा प्रस्तुत की गई है।
9789355188304
Indian literature--Literary criticism
891.4 / SIN-S