सहेला रे / (Record no. 38418)

000 -LEADER
fixed length control field 05839nam a2200265 4500
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
ISBN 9788183618557
041 ## - LANGUAGE CODE
Language code of text/sound track or separate title hin-
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number 891.43
Item number PAN-S
100 1# - MAIN ENTRY--AUTHOR NAME
Personal name पाण्डे, मृणाल
Fuller form of name Pandey, Mrinal
Relator term लेखक.
-- author.
245 10 - TITLE STATEMENT
Title सहेला रे /
Statement of responsibility, etc मृणाल पाण्डे
246 ## - VARYING FORM OF TITLE
Title proper/short title Sahela Re
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT)
Place of publication दिल्ली :
Name of publisher राधाकृष्ण प्रकाशन,
Year of publication 2017.
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Number of Pages 198p.
504 ## - BIBLIOGRAPHY, ETC. NOTE
Bibliography, etc Includes bibliographical references and index.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc भारतीय संगीत का एक दौर रहा है जब संगीत के प्रस्तोता नहीं, साधक हुआ करते थे। वे अपने लिए गाते थे और सुननेवाले उनके स्वरों को प्रसाद की तरह ग्रहण करते थे। ऐसा नहीं कि आज के गायकों कलाकारों की तरह वे सेलेब्रिटी नहीं थे, वे शायद उससे भी यदा कुछ लेकिन कुरुचि के आक्रमणों से वे इतनी दूर हुआ करते थे। जैसे पापाचारी देहधारियों से दूर कहीं देवता रहें। बाजार के इशारों पर न उनके अपने पैमाने झुकते थे, न उनकी वह स्वर- शुचिता जिसे वे अपने लिए तय करते थे। उनका बाजार भी गलियों-कूचों में फैला आज सा सीमाहीन बाजार नहीं था, वह सुरुचि का एक किला था जिसमें अच्छे कानवाले ही प्रवेश पा सकते थे। मृणाल पाण्डे का यह उपन्यास टुकड़ों टुकड़ों में उसी दुनिया का एक पूरा चित्र खींचता है। केन्द्र में है पहाड़ पर अंग्रेज बाप से जन्मी अंजलिवाई और उसकी माँ हीरा। दोनों अपने वक़्तों की बड़ी और मशहूर गानेवालियाँ न सिर्फ गानेवालियाँ बल्कि खूबसूरती और सभ्याचार में अपनी मिशाल आप पहाड़ की बेटी हीरा एक अंग्रेज अफ़सर एडवर्ड के. हिवेट की नजर को भायी तो उसने उस समय के अंग्रेज अफसरों की अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए उसे अपने घर बिठा लिया और एक बेटी को जन्म दिया, नाम रखा विक्टोरिया मसीह। हिवेट की लाश एक दिन जंगलों में पाई गई और नाज-नखरों में पल रही विक्टोरिया अनाथ हो गई। शरण मिली बनारस में जो संगीत का और संगीत के पारखियों का गढ़ था। लेकिन यह कहानी उपन्यासकार को कहीं लिखी हुई नहीं मिली, इसे उसने अपने उद्यम से, यात्राएँ करके, लोगों से मिलकर बातें करके, यहाँ-वहाँ बिखरी लिखित- मौखिक जानकारियों को इकट्ठा करके पूरा किया है। इस तरह पत्र-शैली में लिखा गया यह उपन्यास कुछ-कुछ जासूसी उपन्यास जैसा सुख भी देता है। मृणाल पाण्डे अंग्रेजी में भी लिखती हैं और हिन्दी में भी। इस उपन्यास में उन्होंने जिस गद्य को सम्भव किया है, वह अनूठा है। वह सिर्फ़ कहानी नहीं कहता, अपना पक्ष भी रखता चलता है और विपक्ष की पहचान करके उसे धराशायी भी करता है। इस कथा को पढ़कर संगीत के एक स्वर्ण काल की स्मृति उदास करती है और जहाँ खड़े होकर कथाकार यह कहानी बताती हैं, वहाँ से उस वक्त से कोफ़्त भी होती है जिसके चलते यह सब हुआ, या होता है।
546 ## - LANGUAGE NOTE
Language note Hindi.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term भारतीय संगीत.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term संगीत परंपराएँ.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term संगीतमय प्रस्तुतियाँ.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term संगीत और समाज.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term सांस्कृतिक महत्व.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term ऐतिहासिक संदर्भ.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term औपनिवेशिक प्रभाव.
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Source of classification or shelving scheme
Koha item type Books
Holdings
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