000 -LEADER |
fixed length control field |
02762 a2200169 4500 |
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER |
ISBN |
9789355213686 |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER |
Classification number |
294.5 |
Item number |
VIV-P |
100 ## - MAIN ENTRY--AUTHOR NAME |
Personal name |
विवेकानंद, स्वामी |
Fuller form of name |
Swami Vivekanand |
245 ## - TITLE STATEMENT |
Title |
परिव्राजक: |
Sub Title |
मेरी भर्मण कहानी/ |
Statement of responsibility, etc |
स्वामी, विवेकानंद |
246 ## - VARYING FORM OF TITLE |
Title proper/short title |
Parivrajak: Meri Bhraman Kahani |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) |
Name of publisher |
प्रभात प्रकाशन |
-- |
Prabhat Prakashan |
Year of publication |
2023 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION |
Number of Pages |
136p. |
520 ## - SUMMARY, ETC. |
Summary, etc |
स्वामी विवेकानंद ने भारत में उस समय अवतार लिया, जब हिंदू धर्म के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। हिंदू धर्म में घोर आडंबर और अंधविश्वासों का बोलबाला हो गया था। ऐसे में स्वामी विवेकानंद ने हिंदू धर्म को एक पूर्ण पहचान प्रदान की। इसके पहले हिंदू धर्म विभिन्]न छोटे-छोटे संप्रदायों में बँटा हुआ था। तीस वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म संसद्] में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और इसे सार्वभौमिक पहचान दिलाई। प्रस्तुत पुस्तक 'परिव्राजक मेरी भ्रमण कहानी' में स्वामीजी ने अपनी यूरोप यात्रा के माध्यम से सरल शब्दों में तत्कालीन इतिहास, कला, समाज, जीवन-दर्शन इत्यादि का अत्यंत रोचक वर्णन प्रस्तुत किया है। इनके माध्यम से व्यक्ति अपने तत्कालीन ज्ञान-दर्शन को सहज ही प्रशस्त कर सकता है। स्वामी विवेकानंद की यात्रा-वृत्तांत की यह पुस्तक हमें सांस्कृतिक-सामाजिक यात्रा का आनंद देगी। |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM |
Topical Term |
Hinduism |
Geographic subdivision |
India |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM |
Topical Term |
हिन्दू धर्म |
Geographic subdivision |
भारत |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) |
Source of classification or shelving scheme |
|
Koha item type |
Books |