बन्द रास्तों का सफ़र / (Record no. 39395)
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000 -LEADER | |
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fixed length control field | 05786nam a2200229 4500 |
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
ISBN | 9789393768742 |
041 ## - LANGUAGE CODE | |
Language code of text/sound track or separate title | hin- |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | 891.433 |
Item number | ANA-B |
100 ## - MAIN ENTRY--AUTHOR NAME | |
Personal name | अनामिका, |
Relator term | लेखक |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | बन्द रास्तों का सफ़र / |
Statement of responsibility, etc | अनामिका |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) | |
Place of publication | दिल्ली: |
Name of publisher | राजकमल प्रकाशन, |
Year of publication | 2022. |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Number of Pages | 152p. |
504 ## - BIBLIOGRAPHY, ETC. NOTE | |
Bibliography, etc | Includes bibliography and index. |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc | अनामिका की कविताएँ कवि की प्रतिक्रियाओं से नहीं बनतीं, सदेह, चलते-फिरते-जीते लोगों के जीवन-संवाद से निकलती हैं। सड़कों-चौराहों-घरों-दफ़्तरों में जीवन की ज़िद में जुटी इच्छाओं और हताशाओं, उम्मीदों से रचा-बसा एक बड़ा मनुष्यरचित संसार उनकी कविताओं में सदेह दिखाई देता है। इस संग्रह में भी बहुत कम ऐसी कविताएँ हैं जिनमें हमें साधारण लेकिन चेतना-समृद्ध पात्र नहीं मिलते। हर कविता का एक भौतिक संसार है जो हमें वापस अपने आसपास के जीवन की तरफ़ देखने को उकसाता है। नंगे पैरों भुट्टे बेचनेवाली बच्ची हो जिसके पीछे कवि का हृदय जूता होकर चलता है, महिषासुर के नाखून काटकर, नहला-धुलाकर, दफ़्तर भेजनेवाली ‘घरेलू दुर्गा’ स्त्री हो, फ़ोन पर बातचीत करतीं, अपने जीवन को थाहती वृद्धा बहनें हों, कोरोना के आइसोलेशन वार्ड के भीतर की दुनिया के लोग हों, पैदल घर जाते मज़दूर, आन्दोलन करते किसान हों, कश्मीर में अपनी विरासत को उजड़ते-सूखते देखते बच्चे-बूढ़े हों, हिंसक पौरुष के सम्मुख चीख़ती आसिफ़ा हो या रीतिकालीन काव्य-समयों से बहस करती आधुनिक स्त्रियाँ, यहाँ पात्रों की एक महाकाव्यात्मक मौजूदगी है। आधुनिक संसार के वे बिम्ब जिन्हें हम अपने दैनन्दिन दृश्यों के नगण्य हिस्सों के रूप में अर्थहीन जानकर आगे बढ़ जाते हैं, अनामिका की करुणार्द्र काव्येषणा अपनी सूफ़ियाना छुअन से उनका उदात्तीकरण जीवन-प्रवाह के अनन्त में एक निर्णायक तत्त्व के रूप में कर देती है–शब्दों से ऐसे काम लेती हुई जैसे बिगड़ैल बच्चों को काम पर लगाती कोई माँ। दादियों, नानियों, पुरखा स्त्रियों की निष्कलुष चेतना के सातत्य में उनकी आज की स्त्री अपना पुनर्संधान करती है और स्त्रियों के बहुकेन्द्रिक दुख को सभ्यता परिवर्तक महाभाव में तब्दील कर देती है। भाषा का व्यवहार अनामिका के यहाँ एक स्वतंत्र घटक के रूप में हमेशा मौजूद रहता है। वह इन कविताओं में और सधकर आया है। भाषा उनके लिए सिर्फ़ कहने का साधन-भर नहीं, स्वयं एक चरित्र भी है जिसकी एक भुजा लोक से जुड़ती है तो दूसरी कवि के अपने ध्वनि-बोध से। उनकी यह विशेषता इस संग्रह में और निखरकर आई है। |
546 ## - LANGUAGE NOTE | |
Language note | Hindi. |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical Term | अनामिका |
Form subdivision | कृतियाँ |
General subdivision | हिंदी साहित्य |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical Term | हिंदी कविता |
Form subdivision | समकालीन कविता |
General subdivision | नारीवादी दृष्टिकोण |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical Term | भारतीय साहित्य |
Form subdivision | हिंदी |
General subdivision | आधुनिक कविता |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical Term | सामाजिक मुद्दे |
Form subdivision | साहित्य |
General subdivision | मानवाधिकार और संघर्ष |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical Term | साहित्यिक विश्लेषण |
Form subdivision | अध्ययन |
General subdivision | अनामिका की कविता |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Source of classification or shelving scheme | |
Koha item type | Books |
Withdrawn status | Lost status | Damaged status | Not for loan | Permanent Location | Current Location | Date acquired | Source of acquisition | Cost, normal purchase price | Bill Date | Full call number | Accession Number | Cost, replacement price | Price effective from | Koha item type |
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NASSDOC Library | NASSDOC Library | 2024-03-21 | Overseas Press India Private Limited. | 357.39 | 2024-03-21 | 891.433 ANA-B | 54611 | 495.00 | 2024-03-21 | Books |