000 -LEADER |
fixed length control field |
05066nam a22002297a 4500 |
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER |
ISBN |
9789387145368 |
041 ## - LANGUAGE CODE |
Language code of text/sound track or separate title |
hin- |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER |
Classification number |
891.433 |
Item number |
BHA-E |
100 ## - MAIN ENTRY--AUTHOR NAME |
Personal name |
भटनागर, राजेंद्र मोहन |
Relator term |
लेखक. |
245 ## - TITLE STATEMENT |
Title |
एक अंतहीन युद्ध / |
Statement of responsibility, etc |
लेखक राजेंद्र मोहन भटनागर |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) |
Place of publication |
दिल्ली: |
Name of publisher |
अनन्या प्रकाशन, |
Year of publication |
2018. |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION |
Number of Pages |
208p. |
504 ## - BIBLIOGRAPHY, ETC. NOTE |
Bibliography, etc |
Includes bibliography and index. |
520 ## - SUMMARY, ETC. |
Summary, etc |
भारत के इतिहास में मध्यकालीन युग अन्यन्त महत्त्वपूर्ण है । विशेषतया यह युग मुगल और मेवाड़ के संघर्ष और प्रेम का रहा है । जहाँ निरंकुश शासक अकबर ने ‘आरोपित शासन’ को ‘सम्मति शासन’ में बदल कर राजतन्त्र को एक सर्वथा नवीन गरिमापूर्ण और उदारनीति की दिशा प्रदान की, वहाँ मेवाड़पति महाराणा प्रताप ने राष्ट्रीय स्वतन्त्रता के लिए समग्र जीवन समर्पित करने का अप्रतिम उद्धरण प्रस्तुत किया है । यद्यपि इन तथ्यों के संबंध में विद्वान इतिहासकारों में मतैक्य नहीं है तथापि इन सबके उपरान्त भी न महान अकबर अपने पद से छोटा हो पाया है और न स्वतन्त्रता का अलख जगाने वाला मेवाड़पति महाराणा प्रताप अपनी गरिमा से तनिक भी पीेछे हट सका है । यथार्थत% सोलहवीं शताब्दी भारत के इतिहास में ऐसा संक्रान्ति काल सिद्ध हुआ है जिससे राष्ट्रीय और जन–जीवनीय चेतना में गम्भीर और सार्थक उद्वेलन हुआ है । आश्चर्य तब होता है, जब मानव होने या सिद्ध करने की कथा को समीक्षक महामानव से जोड़ने लगते हैं । वे यह मानने के लिए तैयार नहीं हंै कि सम्राट अकबर और स्वतन्त्रता के उद्भट योद्धा महाराणा प्रताप की समग्र गाथा मानव बनने की कथा है, महामानव बनने का इतिहास नहीं । दोनों ने ‘सम्राटत्व’ की आरोपित गरिमा का ध्वंस किया है और दोनों ने जनजीवन से सम्बद्ध होने का प्रयास किया है । दोनों ने जनचेतना को अपने ढंग से प्रभावित किया है । वह मानव जो मानव होते हुए भी मानव नहीं है, जब अपने में से किसी को मानवोचित आधार पर जीने के लिए संघर्ष करता पाता है, तब विचलित हो उठता है और उस पावन गंगा को जनजीवन में न बहने देने के लिए प्रयास करता है । ‘महामानव’ उसी का प्रतिफल है । अन्ततोगत्वा मानव है क्या! इसी का उत्तर देने की चेष्टा मात्र है । |
546 ## - LANGUAGE NOTE |
Language note |
Hindi. |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM |
Topical Term |
राजेंद्र मोहन भटनागर |
Form subdivision |
कृतियाँ |
General subdivision |
हिंदी साहित्य |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM |
Topical Term |
हिंदी उपन्यास |
Form subdivision |
कथा साहित्य |
General subdivision |
सामाजिक और राजनीतिक थीम |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM |
Topical Term |
भारतीय साहित्य |
Form subdivision |
हिंदी |
General subdivision |
समकालीन साहित्य |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM |
Topical Term |
युद्ध और संघर्ष |
Form subdivision |
साहित्य |
General subdivision |
हिंदी कथा साहित्य |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM |
Topical Term |
साहित्यिक विश्लेषण |
Form subdivision |
अध्ययन |
General subdivision |
हिंदी उपन्यास |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) |
Source of classification or shelving scheme |
|
Koha item type |
Books |