हार नहीं मानूंगा : एक अटल जीवन गाथा
By: त्रिवेदी, विजय Trivedi, Vijay.
Publisher: नॉएडा हार्पर हिंदी 2016Description: 312p.ISBN: 9789351777618.Other title: Haar nahi maanunga: yek Atal jeevan gatha.Subject(s): -- Politicians -- Prime ministers -- Politics and government -- Vajpayee, Atal Bihari, 1924-2018 -- IndiaDDC classification: 954.0531 Summary: विजय त्रिवेदी की श्री अटल बिहारी वाजपेयी पर पुस्तक एक अटल जीवन गाथा है । दरअसल श्री वाजपेयी का जीवन ही इ खुली किताब है और उसका हर पना ज़िन्दगी का एक पाठ, एक सबक सिखाता है और उससे भी ज्यादा फकीरी का अंदाज शायद यही वजह रही होगी कि बीजेपी के गठन के वक्त उसका चुनाव चिन्ह कमल रखा गया । श्री वाजपेयी जी का जीवन उसी कमल कि तरह है जो राजनैतिक गन्दगी के बीच भी न केवल खिलता और महकता रहा, बल्कि उसे गन्दगी कभी छू न सकी। पुस्तक में जिस तरह श्री वाजपेयी के मित्रो, उनके सामयिक राजनेताओ के संस्मरणों का इस्तेमाल किया गया है , वह न केवल वाजपेयी को समझने में मदद करता है बल्कि खुद को बेहतर इंसान बनाने का रास्ता भी दिखाता है । देश में लाखो राजनितिक कार्यकर्ता और हज़ारो राजनेता एसे है जिन्होंने श्री वाजपेयी से राजनीति कि सीढ़ी चढ़ने का पाठ सीखा है, और मेरा सौभाग्य है कि उनमे से एक मै भी हूँ।Item type | Current location | Collection | Call number | Status | Notes | Date due | Barcode |
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Books | NASSDOC Library | हिंदी पुस्तकों पर विशेष संग्रह | 954.0531 TRI-H (Browse shelf) | Available | हिंदी पुस्तकों पर विशेष संग्रह | 50482 |
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954.052092 BRA-C; Vol-1 चरण सिंह और कांग्रेस राजनीति | 954.052092 BRA-C; Vol-2 चरण सिंह और कांग्रेस राजनीति | 954.052092 SIT-A आधा शेर | 954.0531 TRI-H हार नहीं मानूंगा | 954.0532 MOD-S सामाजिक समरसता/ | 954.0536 KAS- कैसे भूले आपातकाल का दंश: | 954.2035 BRA-N Narayan Dutt Tewari ka Uttar Pradesh evam Uttaranchal ke mukhyamantri ke roop me yogdan |
विजय त्रिवेदी की श्री अटल बिहारी वाजपेयी पर पुस्तक एक अटल जीवन गाथा है । दरअसल श्री वाजपेयी का जीवन ही इ खुली किताब है और उसका हर पना ज़िन्दगी का एक पाठ, एक सबक सिखाता है और उससे भी ज्यादा फकीरी का अंदाज शायद यही वजह रही होगी कि बीजेपी के गठन के वक्त उसका चुनाव चिन्ह कमल रखा गया । श्री वाजपेयी जी का जीवन उसी कमल कि तरह है जो राजनैतिक गन्दगी के बीच भी न केवल खिलता और महकता रहा, बल्कि उसे गन्दगी कभी छू न सकी। पुस्तक में जिस तरह श्री वाजपेयी के मित्रो, उनके सामयिक राजनेताओ के संस्मरणों का इस्तेमाल किया गया है , वह न केवल वाजपेयी को समझने में मदद करता है बल्कि खुद को बेहतर इंसान बनाने का रास्ता भी दिखाता है । देश में लाखो राजनितिक कार्यकर्ता और हज़ारो राजनेता एसे है जिन्होंने श्री वाजपेयी से राजनीति कि सीढ़ी चढ़ने का पाठ सीखा है, और मेरा सौभाग्य है कि उनमे से एक मै भी हूँ।
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