भवानीप्रसाद मिश्र संचयन / संपादक अमिताभ मिश्र
Contributor(s): मिश्र, अमिताभ [संपादक.].
Publisher: नई दिल्ली : भारतीय ज्ञानपीठ, 2019Description: 488p.ISBN: 9789387919358.Other title: Bhawaniprasad Mishra Sanchayan.Subject(s): हिंदी साहित्य | हिन्दी कविताDDC classification: 891.4317 Summary: भवानीप्रसाद मिश्र दूसरे तार सप्तक के एक प्रमुख कवि हैं। मिश्र जी विचारों, संस्कारों और अपने कार्यों से पूर्णतः गाँधीवादी हैं। गाँधीवाद की स्वच्छता, पावनता और नैतिकता का प्रभाव और उसकी झलक भवानीप्रसाद मिश्र की कविताओं में साफ देखी जा सकती है। उनका प्रथम संग्रह 'गीत-फरोश' अपनी नई शैली, नई उद्भावनाओं और नए पाठ-प्रवाह के कारण अत्यन्त लोकप्रिय हुआ। भवानीप्रसाद मिश्र उन गिने चुने कवियों में थे जो कविता को ही अपना धर्म मानते थे और आमजनों की बात उनकी भाषा में ही रखते थे । वे 'कवियों के कवि' थे। मिश्र जी की कविताओं का प्रमुख गुण कथन की सादगी है। बहुत हल्के-फुल्के ढंग से वे बहुत गहरी बात कह देते हैं जिससे उनकी निश्छल अनुभव सम्पन्नता का आभास मिलता है। इनकी काव्य-शैली हमेशा पाठक और श्रोता को एक बातचीत की तरह सम्मिलित करती चलती है। मिश्र जी ने अपने साहित्यिक जीवन को बहुत प्रचारित और प्रसारित नहीं किया। मिश्र जी मौन निश्छलता के साथ साहित्य-रचना में संलग्न थे । यह संचयन भवानीप्रसाद मिश्र की विविध रचनाओं के साथ ही उनकी प्रतिनिधि कविताओं को भी पढ़ने का सुख देगा।Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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NASSDOC Library | 891.4317 BHA- (Browse shelf) | Available | 53464 |
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891.431 VIC- विचार का आइना कला साहित्य संस्कृति : | 891.431 VIC- विचार का आइना कला साहित्य संस्कृति : | 891.43108 KAL-K खांटी घरेलू औरत / | 891.4317 BHA- भवानीप्रसाद मिश्र संचयन / | 891.432 SIN-B बात बात में बात/ | 891.432 SIN-D धूपछाँह / | 891.432 SIN-R रसवंती / |
Includes bibliographical references and index.
भवानीप्रसाद मिश्र दूसरे तार सप्तक के एक प्रमुख कवि हैं। मिश्र जी विचारों, संस्कारों और अपने कार्यों से पूर्णतः गाँधीवादी हैं। गाँधीवाद की स्वच्छता, पावनता और नैतिकता का प्रभाव और उसकी झलक भवानीप्रसाद मिश्र की कविताओं में साफ देखी जा सकती है। उनका प्रथम संग्रह 'गीत-फरोश' अपनी नई शैली, नई उद्भावनाओं और नए पाठ-प्रवाह के कारण अत्यन्त लोकप्रिय हुआ। भवानीप्रसाद मिश्र उन गिने चुने कवियों में थे जो कविता को ही अपना धर्म मानते थे और आमजनों की बात उनकी भाषा में ही रखते थे । वे 'कवियों के कवि' थे। मिश्र जी की कविताओं का प्रमुख गुण कथन की सादगी है। बहुत हल्के-फुल्के ढंग से वे बहुत गहरी बात कह देते हैं जिससे उनकी निश्छल अनुभव सम्पन्नता का आभास मिलता है। इनकी काव्य-शैली हमेशा पाठक और श्रोता को एक बातचीत की तरह सम्मिलित करती चलती है। मिश्र जी ने अपने साहित्यिक जीवन को बहुत प्रचारित और प्रसारित नहीं किया। मिश्र जी मौन निश्छलता के साथ साहित्य-रचना में संलग्न थे । यह संचयन भवानीप्रसाद मिश्र की विविध रचनाओं के साथ ही उनकी प्रतिनिधि कविताओं को भी पढ़ने का सुख देगा।
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