कालिंदी / शिवानी
By: शिवानी , Shivani [लेखक., author.].
Publisher: दिल्ली : राधाकृष्ण प्रकाशन, 2018Description: 196p.ISBN: 9788183612814.Other title: Kalindi.Subject(s): हिन्दी कथा साहित्य -- 20वीं सदीDDC classification: 891.433 Summary: "एक बुजुर्ग ने मुझे रोक कर कहा-" कालिन्दी पढ़ रहा हूँ।... आहा कैसा चित्र खींचा है उन दिनों का। लगता है एक बार फिर उसी अल्मोड़ा में पहुँच गया हूँ।" “मुझे लगा मुझे कुमाऊँ का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार मिल गया। "... शिवानी के यह शब्द उपन्यास की पाठकों तक सहज पहुँच और स्वयं उनकी अपने लाखों सरल, अनाम पाठकों के प्रति अगाध समर्पण भाव का आईना है। डॉक्टर कालिन्दी एक स्वयंसिद्धा लड़की है, जिसने अपने जीवन के झंझावातों से अपनी शर्तों पर मुकाबला किया। कुमाऊँ की स्त्री शक्ति के सुदीर्घ शोषण और उसकी अदम्य सहनशक्ति और जिजीविषा का दस्तावेज यह उपन्यास नए और पुराने के टकराव और पुनर्मृजन की गाया भी है। शिवानी की मातृभूमि अल्मोड़ा और उस अंचल के गाँवों की मिट्टी-वयार की गंध से भरी कालिन्दी की व्यथा-कथा भारत की उन सैकड़ों लड़कियों की महागाथा है, जो आधुनिकता का स्वागत करती हैं, लेकिन परम्परा की डोर को भी नहीं काट पातीं। अपने पुरुष उत्पीड़कों और शोषकों के प्रति भी अनवक स्नेह-ममत्व बनाए रखनेवाली कालिन्दी और उसकी एकाकिनी माँ अन्नपूर्णा क्या आज भी देश के हर अंचल में मौजूद नहीं ?Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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NASSDOC Library | 891.433 SHI-K (Browse shelf) | Available | 53417 |
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891.433 SAU-S संघर्ष का सुख / | 891.433 SHA-S सर्दियों का नीला आकाश / | 891.433 SHI-C चल खुसरो घर आपने / | 891.433 SHI-K कालिंदी / | 891.433 SIN-P पन्नों पर कुछ दिन / | 891.433 VIC- विचार का आइना : | 891.433 VIC- विचार का आइना: |
Includes bibliographical references and index.
"एक बुजुर्ग ने मुझे रोक कर कहा-" कालिन्दी पढ़ रहा हूँ।... आहा कैसा चित्र खींचा है उन दिनों का। लगता है एक बार फिर उसी अल्मोड़ा में पहुँच गया हूँ।" “मुझे लगा मुझे कुमाऊँ का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार मिल गया। "... शिवानी के यह शब्द उपन्यास की पाठकों तक सहज पहुँच और स्वयं उनकी अपने लाखों सरल, अनाम पाठकों के प्रति अगाध समर्पण भाव का आईना है। डॉक्टर कालिन्दी एक स्वयंसिद्धा लड़की है, जिसने अपने जीवन के झंझावातों से अपनी शर्तों पर मुकाबला किया। कुमाऊँ की स्त्री शक्ति के सुदीर्घ शोषण और उसकी अदम्य सहनशक्ति और जिजीविषा का दस्तावेज यह उपन्यास नए और पुराने के टकराव और पुनर्मृजन की गाया भी है। शिवानी की मातृभूमि अल्मोड़ा और उस अंचल के गाँवों की मिट्टी-वयार की गंध से भरी कालिन्दी की व्यथा-कथा भारत की उन सैकड़ों लड़कियों की महागाथा है, जो आधुनिकता का स्वागत करती हैं, लेकिन परम्परा की डोर को भी नहीं काट पातीं। अपने पुरुष उत्पीड़कों और शोषकों के प्रति भी अनवक स्नेह-ममत्व बनाए रखनेवाली कालिन्दी और उसकी एकाकिनी माँ अन्नपूर्णा क्या आज भी देश के हर अंचल में मौजूद नहीं ?
Hindi.
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