उभरते भारत की तस्वीर: नंदन नीलकेनी
By: नीलकेनी, नंदन.
Publisher: नई दिल्ली: प्रभात प्रकाशन, 2018Description: xi, 489p.ISBN: 9789350484715.Other title: Ubharte Bharat ki Tasvir.Subject(s): 1990 के दशक -- भारत | सामाजिक, राजनैतिक | भारत के स्वर्णिमDDC classification: 921.65092 Summary: 1990 के दशक से भारत कई बड़े सामाजिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक बदलावों का साक्षी रहा है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और विविधताओं से भरे राष्ट्र की तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के मद्देनजर अब स्वतंत्रता के पैंसठ साल बाद भारत को उभरती हुई महाशक्ति माना जा रहा है। इस विशद और गंभीर पुस्तक में आधुनिक भारत को आकार देनेवाले मुख्य विचारों का विश्लेषण करते हुए देश के बेहतरीन और विचारशील चिंतकों में से एक नंदन नीलेकनी ने हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य पर मौलिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। वे बताते हैं कि कैसे अपनी अच्छी मंशाओं और भव्य आदर्शवाद के बावजूद भारत की शुरुआती समाजवादी नीतियों ने विकास में बाधा डाली और लोकतंत्र को कमजोर किया; आम धारणा के विपरीत देश की विशाल और शक्तिशाली युवा पीढ़ी कैसे अब इसकी सबसे बड़ी ताकत बन गई है; कैसे सूचना प्रौद्योगिकी न सिर्फ व्यापार में, बल्कि ज्यादातर भारतीयों की रोजमर्रा की जिंदगी में क्रांति ला रही है और कैसे तेजी से हो रहा शहरीकरण हमारे समाज और राजनीति को बदल रहा है। इसी के साथ उन्होंने भविष्य के लिए भी कुछ प्रश्न उठाए हैं—वैश्विक शक्ति बनने पर भारत कैसे विकास के पूर्व प्रतीकों द्वारा की गई गलतियों से बचेगा? क्या खुले बाजार में और ज्यादा पहुँच इस असाधारण विकास को प्रेरित करती रहेगी? और देश की युवा पीढ़ी इस विकास से किस रूप में प्रभावित होगी? एक समर्थ, सबल, शक्तिसंपन्न, स्वावलंबी भारत के स्वर्णिम भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती चिंतनपरक कृति।Item type | Current location | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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Books | NASSDOC Library | हिंदी पुस्तकों पर विशेष संग्रह | 921.65092 NAN-U (Browse shelf) | Available | 54005 |
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910.54 YAD-B Bharat ka bhoogol (geography of India) | 920 DUB-; Marxvadi darshan avam rajniti may Antoniyo Gramshi : buddhijivi ki avdhaarna | 920.71 PRA-M Meri jeevan yatra: Bhartiya itihaas va sanskriti ke kuch anchhuye pehloo | 921.65092 NAN-U उभरते भारत की तस्वीर: | 923 GRA-S Sanskritik aur rajnitik chintan ke buniyadi sarokar | 923.1 KAL-A अगनि की उड़ान/ | 923.154 RAS; Rashtriya netayon ka samman: Saansad parisar mein pratimaye aur chitter |
1990 के दशक से भारत कई बड़े सामाजिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक बदलावों का साक्षी रहा है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और विविधताओं से भरे राष्ट्र की तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के मद्देनजर अब स्वतंत्रता के पैंसठ साल बाद भारत को उभरती हुई महाशक्ति माना जा रहा है। इस विशद और गंभीर पुस्तक में आधुनिक भारत को आकार देनेवाले मुख्य विचारों का विश्लेषण करते हुए देश के बेहतरीन और विचारशील चिंतकों में से एक नंदन नीलेकनी ने हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य पर मौलिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। वे बताते हैं कि कैसे अपनी अच्छी मंशाओं और भव्य आदर्शवाद के बावजूद भारत की शुरुआती समाजवादी नीतियों ने विकास में बाधा डाली और लोकतंत्र को कमजोर किया; आम धारणा के विपरीत देश की विशाल और शक्तिशाली युवा पीढ़ी कैसे अब इसकी सबसे बड़ी ताकत बन गई है; कैसे सूचना प्रौद्योगिकी न सिर्फ व्यापार में, बल्कि ज्यादातर भारतीयों की रोजमर्रा की जिंदगी में क्रांति ला रही है और कैसे तेजी से हो रहा शहरीकरण हमारे समाज और राजनीति को बदल रहा है। इसी के साथ उन्होंने भविष्य के लिए भी कुछ प्रश्न उठाए हैं—वैश्विक शक्ति बनने पर भारत कैसे विकास के पूर्व प्रतीकों द्वारा की गई गलतियों से बचेगा? क्या खुले बाजार में और ज्यादा पहुँच इस असाधारण विकास को प्रेरित करती रहेगी? और देश की युवा पीढ़ी इस विकास से किस रूप में प्रभावित होगी? एक समर्थ, सबल, शक्तिसंपन्न, स्वावलंबी भारत के स्वर्णिम भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती चिंतनपरक कृति।
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