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मानवशास्त्र शब्दकोश/ जे.पी. सिंह

By: सिंह,जे.पी. J.P. Singh.
Publisher: जयपुर: रावत, 2019Description: vii,612p.ISBN: 9788131610732.Other title: Manavshashtra Shabdkosh.Subject(s): शब्दावलीDDC classification: 301.3 Summary: यह शब्दकोश मानवशास्त्र के साथ-साथ समाजशास्त्र के विभिन्न स्तर के अध्येताओं के लिए समान रूप से उपयोगी है, क्योंकि भारतीय समाजशास्त्र जितना समाजशास्त्र है उतना ही सामाजिक मानवशास्त्र भी है। भारतीय शैक्षणिक संस्थान समाजशास्त्र और मानवशास्त्र की एक संगम स्थली रही है, जबकि दुनिया के अन्य देशों में दोनों विषयों को अलग-अलग देखा जाता रहा है। निःसंदेह इतिहास, राजनीतिशास्त्र, भूगोल एवं मनोविज्ञान जैसे सामाजिक विज्ञानों के लिए भी यह शब्दकोश उपयोगी साबित होगी। इस शब्दकोश की यह विशिष्टता है कि इसमें विभिन्न शब्दों का मानक उच्चारण दिया गया है, जो कि मानवशास्त्र के किसी भी शब्दकोश में उपलब्ध नहीं है। इसकी जरूरत इसलिए है कि जिनकी मातृभाषा हिन्दी है वे लोग अपनी मातृभाषा की तरह ही विदेशी भाषा के शब्दों का उच्चारण करते हैं। इस शब्दकोश की एक अन्य विशेषता यह है कि इसमें जितने शब्द हैं उतने शब्द शायद भारत से प्रकाशित किसी भी मानवशास्त्र के शब्दकोश में नहीं है। इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि भारतीय मानवशास्त्र के क्षेत्र में जो महत्त्वपूर्ण विचार और शब्दावली हैं, उन्हें उचित स्थान दिया जाय। विदेशों से अँगरेशी में प्रकाशित मानवशास्त्र के शब्दकोशों में इस बात पर ध्यान नहीं रखा गया है। इस शब्दकोश की भाषा इतनी सरल और बोधगम्य है कि कोई भी व्यक्ति इसे आसानी से समझ सकता है। चूँकि मानवशास्त्र एक तकनीकी विषय है, इसलिए मानवशास्त्रा में प्रयोग होनेवाली शब्दावली का अर्थ उतना सरल नहीं है जितना कि दिखाई पड़ता है।
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हिंदी पुस्तकों पर विशेष संग्रह 301.3 SIN-M (Browse shelf) Available 54154

यह शब्दकोश मानवशास्त्र के साथ-साथ समाजशास्त्र के विभिन्न स्तर के अध्येताओं के लिए समान रूप से उपयोगी है, क्योंकि भारतीय समाजशास्त्र जितना समाजशास्त्र है उतना ही सामाजिक मानवशास्त्र भी है। भारतीय शैक्षणिक संस्थान समाजशास्त्र और मानवशास्त्र की एक संगम स्थली रही है, जबकि दुनिया के अन्य देशों में दोनों विषयों को अलग-अलग देखा जाता रहा है। निःसंदेह इतिहास, राजनीतिशास्त्र, भूगोल एवं मनोविज्ञान जैसे सामाजिक विज्ञानों के लिए भी यह शब्दकोश उपयोगी साबित होगी।
इस शब्दकोश की यह विशिष्टता है कि इसमें विभिन्न शब्दों का मानक उच्चारण दिया गया है, जो कि मानवशास्त्र के किसी भी शब्दकोश में उपलब्ध नहीं है। इसकी जरूरत इसलिए है कि जिनकी मातृभाषा हिन्दी है वे लोग अपनी मातृभाषा की तरह ही विदेशी भाषा के शब्दों का उच्चारण करते हैं।
इस शब्दकोश की एक अन्य विशेषता यह है कि इसमें जितने शब्द हैं उतने शब्द शायद भारत से प्रकाशित किसी भी मानवशास्त्र के शब्दकोश में नहीं है। इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि भारतीय मानवशास्त्र के क्षेत्र में जो महत्त्वपूर्ण विचार और शब्दावली हैं, उन्हें उचित स्थान दिया जाय। विदेशों से अँगरेशी में प्रकाशित मानवशास्त्र के शब्दकोशों में इस बात पर ध्यान नहीं रखा गया है।
इस शब्दकोश की भाषा इतनी सरल और बोधगम्य है कि कोई भी व्यक्ति इसे आसानी से समझ सकता है। चूँकि मानवशास्त्र एक तकनीकी विषय है, इसलिए मानवशास्त्रा में प्रयोग होनेवाली शब्दावली का अर्थ उतना सरल नहीं है जितना कि दिखाई पड़ता है।

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