मैं हार गयी / मन्नू भंडारी
By: भंडारी, मन्नू [लेखक ].
Publisher: नई दिल्ली: राजकमल प्रकाशन, 2016Description: 164p.ISBN: 9788171197118.Subject(s): हिंदी कथा साहित्य -- उपन्यास -- नारीवादी दृष्टिकोण | नारीवाद और साहित्य -- महिला लेखन -- सामाजिक परिवर्तन | भारतीय समाज -- साहित्य में चित्रण -- महिलाओं की स्थिति | आत्मसंघर्ष और पहचान -- साहित्यिक अभिव्यक्ति -- सामाजिक संघर्ष | साहित्यिक आलोचना -- मन्नू भंडारी के कार्यों का अध्ययन -- हिंदी कथा साहित्यDDC classification: 891.433 Summary: मैं हार गई इस संग्रह की कहानियाँ मानवीय अनुभूति के धरातल पर रची गई ऐसी रचनाएँ हैं जिनके पात्र वायवीय दुनिया से परे, संवेदनाओं और अनुभव की ठोस तथा प्रामाणिक भूमि पर अपने सपने रचते हैं; और ये सपने परिस्थितियों, परिवेश और अन्याय की परम्पराओं के दबाव के सामने कभी-कभी थकते और निराश होते भले ही दिखते हों, लेकिन टूटते कभी नहीं; पुनः-पुनः जी उठते हैं। इस संग्रह में सम्मिलित कहानियों में कुछ प्रमुख हैं: ईसा के घर इनसान, गीत का चुम्बन, एक कमज़ोर लड़की की कहानी, सयानी बुआ, दो कलाकार और मैं हार गई। ये सभी कहानियाँ मन्नूजी की गहरी मनोवैज्ञानिक पकड़, मध्यवर्गीय विरोधाभासों के तलस्पर्शी अवगाहन, विश्लेषण और समाज की स्थापित आक्रान्ता, नैतिक जड़ताओं के प्रति प्रश्नाकुलता आदि तमाम लेखकीय विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनके लिए मन्नूजी को हिन्दी की आधुनिक कहानी-धारा में विशिष्ट स्थान प्राप्त है।Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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NASSDOC Library | 891.433 BHA-M (Browse shelf) | Available | 54624 |
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891.433 ANA-B बन्द रास्तों का सफ़र / | 891.433 BHA-A अकेली / | 891.433 BHA-E एक अंतहीन युद्ध / | 891.433 BHA-M मैं हार गयी / | 891.433 BHA-S सम्पूर्ण कहानियाँ / | 891.433 CHT-V वैशाली की नगरवधू / | 891.433 GAN-V विमुक्त जंजातियाँ: |
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मैं हार गई इस संग्रह की कहानियाँ मानवीय अनुभूति के धरातल पर रची गई ऐसी रचनाएँ हैं जिनके पात्र वायवीय दुनिया से परे, संवेदनाओं और अनुभव की ठोस तथा प्रामाणिक भूमि पर अपने सपने रचते हैं; और ये सपने परिस्थितियों, परिवेश और अन्याय की परम्पराओं के दबाव के सामने कभी-कभी थकते और निराश होते भले ही दिखते हों, लेकिन टूटते कभी नहीं; पुनः-पुनः जी उठते हैं। इस संग्रह में सम्मिलित कहानियों में कुछ प्रमुख हैं: ईसा के घर इनसान, गीत का चुम्बन, एक कमज़ोर लड़की की कहानी, सयानी बुआ, दो कलाकार और मैं हार गई। ये सभी कहानियाँ मन्नूजी की गहरी मनोवैज्ञानिक पकड़, मध्यवर्गीय विरोधाभासों के तलस्पर्शी अवगाहन, विश्लेषण और समाज की स्थापित आक्रान्ता, नैतिक जड़ताओं के प्रति प्रश्नाकुलता आदि तमाम लेखकीय विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनके लिए मन्नूजी को हिन्दी की आधुनिक कहानी-धारा में विशिष्ट स्थान प्राप्त है।
Hindi.
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