Normal view MARC view ISBD view

ऐसे भी हम क्या! ऐसे भी तुम क्या! By नागार्जुन

By: नागार्जुन.
Publisher: नई दिल्ली: वाणी प्रकाशन, 2012Description: 70p.ISBN: 97893500092291.Subject(s): Hindi Fiction | Hindi LiteratureDDC classification: 891.431 Summary: ऐसे भी हम क्या! ऐसे भी तुम क्या! - नागार्जुन अपनी उम्र की 73 वीं मंजिल पर पहुँच कर भी नये लेखकों तथा आम जनता से गहन रिश्ता रखने वाले सबसे अधिक ताजगी भरे जन कवि हैं। रामविलास शर्मा ने काफी पहले उनके बारे में लिखा था कि एक ऐसा वक़्त आयेगा जब ‘मध्य वर्ग और किसानों और मजदूरों में भी जन्म लेनेवाले कवि दृढ़ता से अपना सम्बन्ध जन-आन्दोलन से कायम करेंगे द्य तब उनके सामने लोकप्रिय साहित्य और कलात्मक सौन्दर्य के सन्तुलन की समस्या फिर पेश होगी और तब साहित्य और राजनीति में उनका सही मार्गदर्शन करनेवाले अपनी रचनाओं के प्रत्येक उदाहरण से उन्हें शिक्षित करनेवाले उनके प्रेरक और गुरु होंगे कवि नागार्जुन।
    average rating: 0.0 (0 votes)
Item type Current location Call number Status Date due Barcode
Books Books NASSDOC Library
891.431 NAG-A (Browse shelf) Available 54644

ऐसे भी हम क्या! ऐसे भी तुम क्या! - नागार्जुन अपनी उम्र की 73 वीं मंजिल पर पहुँच कर भी नये लेखकों तथा आम जनता से गहन रिश्ता रखने वाले सबसे अधिक ताजगी भरे जन कवि हैं। रामविलास शर्मा ने काफी पहले उनके बारे में लिखा था कि एक ऐसा वक़्त आयेगा जब ‘मध्य वर्ग और किसानों और मजदूरों में भी जन्म लेनेवाले कवि दृढ़ता से अपना सम्बन्ध जन-आन्दोलन से कायम करेंगे द्य तब उनके सामने लोकप्रिय साहित्य और कलात्मक सौन्दर्य के सन्तुलन की समस्या फिर पेश होगी और तब साहित्य और राजनीति में उनका सही मार्गदर्शन करनेवाले अपनी रचनाओं के प्रत्येक उदाहरण से उन्हें शिक्षित करनेवाले उनके प्रेरक और गुरु होंगे कवि नागार्जुन।

Hindi

There are no comments for this item.

Log in to your account to post a comment.