रेणुका / रामधारी सिंह दिनकर
By: सिंह, दिनकर रामधारी.
Publisher: Prayagraj : Lokbharati prakashan, 2022Description: 119p.ISBN: 9788180313547.Subject(s): Hindi fiction | Indian literatureDDC classification: 892.47 Summary: हमारे क्रान्ति-युग का सम्पूर्ण प्रतिनिधित्व कविता में इस समय दिनकर कर रहा है । क्रान्तिवादी को जिन-जिन हृदय-मंथनों से गुजरना होता है, दिनकर की कविता उनकी सच्ची तस्वीर रखती है । - रामवृक्ष बेनीपुरी दिनकर जी ने श्रमसाध्य जीवन जिया । उनकी साहित्य साधना अपूर्व थी । कुछ समय पहले मुझे एक सज्जन ने कलकत्ता से पत्र लिखा कि दिनकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलना कितना उपयुक्त है? मैंने उन्हें उत्तर में लिखा था कि- यदि चार ज्ञानपीठ पुरस्कार उन्हें मिलते, तो उनका उचित सम्मान होता -गद्य, पद्य, भाषणों और हिन्दी प्रचार के लिए । - हरिवंश राय ' बच्चन ' उनकी राष्ट्रीय चेतना और व्यापक सांस्कृतिक दृष्टि, उनकी वाणी का ओज और काव्यभाषा के तत्वों पर बल, उनका सात्विक मूल्यों का आग्रह उन्हें पारम्परिक रीति से जोड़े रखता है ।Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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NASSDOC Library | 892.47 SIN-R (Browse shelf) | Available | 54586 |
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892.47 SAG-O ऐ फकीरा मान जा | 892.47 SHA-A आवाजें काँपती रहीं | 892.47 SHU-O ओरहान और अन्य कविताएँ | 892.47 SIN-R रेणुका | 892.7 SIN-A आमने- सामने | 900 HIS- Historians without borders : | 900.1 KAD-; Research methodology: history |
हमारे क्रान्ति-युग का सम्पूर्ण प्रतिनिधित्व कविता में इस समय दिनकर कर रहा है । क्रान्तिवादी को जिन-जिन हृदय-मंथनों से गुजरना होता है, दिनकर की कविता उनकी सच्ची तस्वीर रखती है । - रामवृक्ष बेनीपुरी दिनकर जी ने श्रमसाध्य जीवन जिया । उनकी साहित्य साधना अपूर्व थी । कुछ समय पहले मुझे एक सज्जन ने कलकत्ता से पत्र लिखा कि दिनकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलना कितना उपयुक्त है? मैंने उन्हें उत्तर में लिखा था कि- यदि चार ज्ञानपीठ पुरस्कार उन्हें मिलते, तो उनका उचित सम्मान होता -गद्य, पद्य, भाषणों और हिन्दी प्रचार के लिए । - हरिवंश राय ' बच्चन ' उनकी राष्ट्रीय चेतना और व्यापक सांस्कृतिक दृष्टि, उनकी वाणी का ओज और काव्यभाषा के तत्वों पर बल, उनका सात्विक मूल्यों का आग्रह उन्हें पारम्परिक रीति से जोड़े रखता है ।
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