पोलिश कवि चेस्लाव मीलोष / अशोक वाजपेई और रेनाटा ज़ेकाल्स्का
By: वाजपेई, अशोक.
Contributor(s): ज़ेकाल्स्का, रेनाटा.
Publisher: नई दिल्ली; वाणी प्रकाशन, 2011Description: 124p.ISBN: 9789350007013.Other title: Polish Kavi Czeslaw Milosz.Subject(s): Hindi Fiction | Hindi LiteratureDDC classification: 891.43 Summary: संसार में अनिवार्य रूप से मौजूद बुराई और मानवीय यातना को अपनी कविता के केन्द्र में रखनेवाले पोलिश कवि चेस्लाव मीलोष बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में विश्व-कविता के अधिकतर उलझे परिदृश्य में एक अनिवार्य नाम रहे हैं। इस समय वे सम्भवतः विश्व-कविता के सबसे जेठे सक्रिय कवि हैं। अपनी जातीय ईसाई परम्परा से मीलोष ने मनुष्य में अनिवार्यतः मौजूद बुराई का तीखा अहसास पाया था। उसे पोलैण्ड में पहले नाज़ी और बाद में साम्यवादी तानाशाहियों द्वारा दमित-शोषित किये जाने के दुखद ऐतिहासिक अनुभवों ने मीलोष को इस बुराई को उसकी सारी विकृतियों और उसमें लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण साझेदारी या उनके बारे में अवसरवादी चुप्पी के साथ नज़दीक से देखने-समझने का अवसर दिया। कविता उनके लिए इसके विरुद्ध संघर्ष की रणभूमि बनी।Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
---|---|---|---|---|---|
![]() |
NASSDOC Library | 891.43 BAJ-P (Browse shelf) | Available | 54664 |
Browsing NASSDOC Library Shelves Close shelf browser
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
||
891.409 IND- Indian literatures in diaspora / | 891.42 AMR- Amrita Pritam: | 891.43 BAG-H हो गई आधी रात/ | 891.43 BAJ-P पोलिश कवि चेस्लाव मीलोष / | 891.43 DUB-S समय और संस्कृति / | 891.43 KAL-A अंदाज़-ए-बयान उर्फ़ रवि कथा | 891.43 KAL-A अँधेरे का ताला/ |
संसार में अनिवार्य रूप से मौजूद बुराई और मानवीय यातना को अपनी कविता के केन्द्र में रखनेवाले पोलिश कवि चेस्लाव मीलोष बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में विश्व-कविता के अधिकतर उलझे परिदृश्य में एक अनिवार्य नाम रहे हैं। इस समय वे सम्भवतः विश्व-कविता के सबसे जेठे सक्रिय कवि हैं। अपनी जातीय ईसाई परम्परा से मीलोष ने मनुष्य में अनिवार्यतः मौजूद बुराई का तीखा अहसास पाया था। उसे पोलैण्ड में पहले नाज़ी और बाद में साम्यवादी तानाशाहियों द्वारा दमित-शोषित किये जाने के दुखद ऐतिहासिक अनुभवों ने मीलोष को इस बुराई को उसकी सारी विकृतियों और उसमें लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण साझेदारी या उनके बारे में अवसरवादी चुप्पी के साथ नज़दीक से देखने-समझने का अवसर दिया। कविता उनके लिए इसके विरुद्ध संघर्ष की रणभूमि बनी।
Hindi
There are no comments for this item.