भाषा साहित्य और संस्कृति शिक्षण/ दिलीप सिंह
By: सिंह,दिलीप.
Publisher: नई दिल्ली; वाणी प्रकाशन , 2007Description: 224p.ISBN: 9788181436191.Other title: Bhasha Sahitya Aur Sanskriti Shikshan.Subject(s): Language and culture | LiteratureDDC classification: 891.4309 Summary: प्रो. दिलीप सिंह की यह मान्यता इस पुस्तक में व्यावहारिक रूप में प्रतिफलित हुई है कि भाषा शिक्षण द्वारा व्यक्ति के भाषा व्यवहार ही नहीं उसके संपूर्ण व्यक्तित्व को धार दी जा सकती है। व्यक्तित्व विकास की इस प्रक्रिया में साहित्य शिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि उससे व्यक्ति के संज्ञानात्मक और सोचने को कौशल को निखारा जा सकता है। सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह मान्यता है कि किसी भी कथन/अभिव्यक्ति/पाठ में साहित्य और भाषा के बहाने सामाजिक-सांस्कृतिक घटक पिरोए गए होते हैं जिनके उद्घाटन के बिना उसका पढ़ना-पढ़ाना अधूरा रह जाता है। अतः भाषा अध्ययन के रास्ते किसी समाज की संस्कृति तक पहुँचना कैसे संभव होता है यह सीखना-सिखाना बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें संदेह नहीं यह पुस्तक इन लक्ष्यों की प्राप्ति को संभव बनाने में समर्थ है।Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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NASSDOC Library | 891.4309 SIN-B (Browse shelf) | Available | 54673 |
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891.4308 SAT-A आज़ाद बचपन की ओर | 891.4308 VAJ-K कुछ खोजते हुए / | 891.4309 KAH- कहना ना होगा: | 891.4309 SIN-B भाषा साहित्य और संस्कृति शिक्षण/ | 891.4309 SIN-S सख़ुनतकिया/ by | 891.431 AZM-M मेरी आवाज सुनो / | 891.431 KAL-K कितने प्रश्न करूँ / |
प्रो. दिलीप सिंह की यह मान्यता इस पुस्तक में व्यावहारिक रूप में प्रतिफलित हुई है कि भाषा शिक्षण द्वारा व्यक्ति के भाषा व्यवहार ही नहीं उसके संपूर्ण व्यक्तित्व को धार दी जा सकती है। व्यक्तित्व विकास की इस प्रक्रिया में साहित्य शिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि उससे व्यक्ति के संज्ञानात्मक और सोचने को कौशल को निखारा जा सकता है। सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह मान्यता है कि किसी भी कथन/अभिव्यक्ति/पाठ में साहित्य और भाषा के बहाने सामाजिक-सांस्कृतिक घटक पिरोए गए होते हैं जिनके उद्घाटन के बिना उसका पढ़ना-पढ़ाना अधूरा रह जाता है। अतः भाषा अध्ययन के रास्ते किसी समाज की संस्कृति तक पहुँचना कैसे संभव होता है यह सीखना-सिखाना बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें संदेह नहीं यह पुस्तक इन लक्ष्यों की प्राप्ति को संभव बनाने में समर्थ है।
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