मेघदूत/ By नागार्जुन
By: कालिदास Kalidas [author].
Contributor(s): नागार्जुन [अनुवादक] | Nagaarjun [Translater ].
Publisher: नई दिल्ली: वाणी प्रकाशन, 2020Edition: 2nd.Description: 98p.ISBN: 9789350725740.Other title: Meghdoot.Subject(s): Hindi Literature -- Poetry -- Adaptations -- India | हिंदी साहित्य -- काव्य -- रूपांतरण -- भारतDDC classification: 891.431 Summary: मेघदूत' में, विशेषतः पूर्वमेघ में कवि ने प्रकृति के बाह्यरूपों का चमत्कार दिखलाया है। परन्तु वह क्षण-भर के लिए भी मानवीय भावना को अपने शब्दशिल्प से पृथक् नहीं होने देता। मेघ को भी तो उसने मेघमात्र नहीं रहने दिया। मेघ यक्ष का साथी है, भाई है। उम्र में छोटा ही समझिए ! भाई का कुशल समाचार उसे भाभी तक पहुँचाना है। थकने पर वह पहाड़ों पर उतरकर सुस्ता लेता है, प्यास लगने पर नदियों का पानी पीता है। भारी हो उठता है, तो बरस बरस कर हल्का हो लेता है। मानसरोवर की तरफ जानेवाले हंस उसका साथी बनते हैं और हरिण उसे राह दिखाते हैं। नदियों से मेघ का प्रेम-सम्बन्ध है, यक्ष की हिदायत है कि वह उनकी उपेक्षा न करे; ज़रा देर हो तो हो, मगर अपनी प्रेयसियों का दिल न तोड़ना ! विरहजनित उनकी कृशता जैसे भी मिटे, वैसा करनाItem type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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NASSDOC Library | 891.431 KAL-M (Browse shelf) | Available | 54674 |
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मेघदूत' में, विशेषतः पूर्वमेघ में कवि ने प्रकृति के बाह्यरूपों का चमत्कार दिखलाया है। परन्तु वह क्षण-भर के लिए भी मानवीय भावना को अपने शब्दशिल्प से पृथक् नहीं होने देता। मेघ को भी तो उसने मेघमात्र नहीं रहने दिया। मेघ यक्ष का साथी है, भाई है। उम्र में छोटा ही समझिए ! भाई का कुशल समाचार उसे भाभी तक पहुँचाना है। थकने पर वह पहाड़ों पर उतरकर सुस्ता लेता है, प्यास लगने पर नदियों का पानी पीता है। भारी हो उठता है, तो बरस बरस कर हल्का हो लेता है। मानसरोवर की तरफ जानेवाले हंस उसका साथी बनते हैं और हरिण उसे राह दिखाते हैं। नदियों से मेघ का प्रेम-सम्बन्ध है, यक्ष की हिदायत है कि वह उनकी उपेक्षा न करे; ज़रा देर हो तो हो, मगर अपनी प्रेयसियों का दिल न तोड़ना ! विरहजनित उनकी कृशता जैसे भी मिटे, वैसा करना
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