रतिनाथ की चाची / नागार्जुन
By: नागार्जुन, Nagarjun, नागार्जुन [लेखक , Author.].
Publisher: नई दिल्ली: वानी प्रकाशन: 2020Description: 151p.ISBN: 9789350009413.Other title: RATINATH KI CHACHI by Nagarjun.Subject(s): हिंदी साहित्य -- कथा साहित्य -- उपन्यास | नागार्जुन – साहित्यिक योगदान -- आलोचना और व्याख्या -- हिंदी उपन्यास में स्थान | सामाजिक यथार्थवाद -- भारतीय ग्रामीण समाज -- सामाजिक संरचना और संघर्ष | भारतीय ग्राम जीवन -- साहित्य में चित्रण -- हिंदी उपन्यासों में ग्रामीण परिवेश | नारी जीवन और समाज -- पारिवारिक और सामाजिक संघर्ष -- स्त्री विमर्श और परंपराDDC classification: 891.433 Summary: प्रेमचन्द के बाद हिन्दी उपन्यासों की यथार्थवादी परम्परा में नागार्जुन सबसे समर्थ हस्ताक्षर हैं। भारतीय गाँव की शोषण से भरी जिन्दगी उनके उपन्यासों का विषय है। ‘रतिनाथ की चाची' भी एक पिछड़े हुए और गरीब अंचल की यातनादायी ज़िन्दगी को समेटने वाला उपन्यास है। इसमें एक गरीब ब्राह्मण विधवा गौरी की ज़िन्दगी के माध्यम से पूरे भारतीय समाज की शोषित नारी की जीवनगाथा उद्घाटित की गयी है। उपन्यास की प्रमुख पात्र गौरी जिन मानसिक यंत्रणाओं से गुजरती है वह भारतीय समाज की सड़ी-गली परम्परा का बेरहमी से भंडाफोड़ करने के लिए काफी है। इस उपन्यास में महान कथा शिल्पी नागार्जुन की आमफहम भाषा उपन्यासों के यथार्थवादी शिल्प की नई दिशा रेखांकित करती है।Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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NASSDOC Library | 891.433 NAG-R (Browse shelf) | Available | 54676 |
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891.433 NAG-B बलचनमा/ | 891.433 NAG-G गरीबदास/ | 891.433 NAG-J जमनिया का बाबा/ | 891.433 NAG-R रतिनाथ की चाची / | 891.433 NAG-V वरुण के बेटे / | 891.433 PRI-A अल्पविराम / | 891.433 PUS-J झूला नट / |
प्रेमचन्द के बाद हिन्दी उपन्यासों की यथार्थवादी परम्परा में नागार्जुन सबसे समर्थ हस्ताक्षर हैं। भारतीय गाँव की शोषण से भरी जिन्दगी उनके उपन्यासों का विषय है। ‘रतिनाथ की चाची' भी एक पिछड़े हुए और गरीब अंचल की यातनादायी ज़िन्दगी को समेटने वाला उपन्यास है। इसमें एक गरीब ब्राह्मण विधवा गौरी की ज़िन्दगी के माध्यम से पूरे भारतीय समाज की शोषित नारी की जीवनगाथा उद्घाटित की गयी है। उपन्यास की प्रमुख पात्र गौरी जिन मानसिक यंत्रणाओं से गुजरती है वह भारतीय समाज की सड़ी-गली परम्परा का बेरहमी से भंडाफोड़ करने के लिए काफी है। इस उपन्यास में महान कथा शिल्पी नागार्जुन की आमफहम भाषा उपन्यासों के यथार्थवादी शिल्प की नई दिशा रेखांकित करती है।
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