बूँद और समुद्र / अमृतलाल नागर
By: नागर, अमृतलाल [लेखक ].
Publisher: नई दिल्ली: राजकमल प्रकाशन, 2018Description: 472p.ISBN: 9788126728824.Other title: Boond Aur Samudra by Amritlal Nagar.Subject(s): हिंदी उपन्यास -- सामाजिक यथार्थ -- आधुनिक हिंदी साहित्य | भारतीय समाज – सामाजिक चित्रण -- साहित्य में समाजशास्त्र -- सामाजिक परिवर्तनों का चित्रण | हिंदी साहित्य – कथा और शैली -- साहित्यिक विशेषताएँ -- कथानक और चरित्र चित्रण | अमृतलाल नागर – साहित्यिक योगदान -- आलोचना और व्याख्या -- हिंदी कथा साहित्य | हिंदी साहित्य का विकास -- 20वीं शताब्दी -- भारतीय साहित्यिक परंपराDDC classification: 891.433 Summary: पठनीयता के बल पर हिंदी उपन्यास को ख्याति और प्रतिष्ठा दिलाने वालों में अमृतलाल नागर का नाम अग्रणी है ! कई पीढ़ियों ने उनकी कलम से निकले हृदाग्रही कथा-रस का आस्वाद लिया है ! कथा-साहित्य के कई अविस्मरणीय चरित्रों की सृष्टि का सेहरा भी नागरजी के ही सर बंधा है ! डॉ रामविलास शर्मा ने लिखा, “हिंदी के कुछ लेखक मार्क्सवाद पर पुस्तकें भी लिख चुके हैं लेकिन उनके पत्र वैसे सजीव नहीं होते, जैसे गाँधीवादी लेखक अमृतलाल नागर के सेठ बंकेमल या बूँद और समुद्र की ताई ! इसका कारन यह है की मार्क्सवाद या गांधीवाद ही किसी लेखक को कलाकार नहीं बना देता ! कथाकार बनाने के लिए मार्मिक अनुभूति आवश्यक है जो जीवन के हर पहलू को देख सके ! सामाजिक जीवन की जानकारी ही न होगी तो दृष्टिकोण बेचारा क्या करेगा?” लाच्क्नो के नागर, मध्यवर्गीय सामाजिक जीवन का अन्तरंग और सजीव चित्रण करनेवाला यह उपन्यास हिंदी उपन्यास-परंपरा में एक कालजयी कृति माना जाता है !Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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NASSDOC Library | 891.433 NAG-B (Browse shelf) | Available | 54613 |
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891.433 KAL-K काके दी हट्टी / | 891.433 KAL-P पाँच बेहतरीन कहानियाँ / | 891.433 MIS-C चौंसठ सूत्र सोलह अभिमान: | 891.433 NAG-B बूँद और समुद्र / | 891.433 NAG-B बलचनमा/ | 891.433 NAG-G गरीबदास/ | 891.433 NAG-J जमनिया का बाबा/ |
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पठनीयता के बल पर हिंदी उपन्यास को ख्याति और प्रतिष्ठा दिलाने वालों में अमृतलाल नागर का नाम अग्रणी है ! कई पीढ़ियों ने उनकी कलम से निकले हृदाग्रही कथा-रस का आस्वाद लिया है ! कथा-साहित्य के कई अविस्मरणीय चरित्रों की सृष्टि का सेहरा भी नागरजी के ही सर बंधा है ! डॉ रामविलास शर्मा ने लिखा, “हिंदी के कुछ लेखक मार्क्सवाद पर पुस्तकें भी लिख चुके हैं लेकिन उनके पत्र वैसे सजीव नहीं होते, जैसे गाँधीवादी लेखक अमृतलाल नागर के सेठ बंकेमल या बूँद और समुद्र की ताई ! इसका कारन यह है की मार्क्सवाद या गांधीवाद ही किसी लेखक को कलाकार नहीं बना देता ! कथाकार बनाने के लिए मार्मिक अनुभूति आवश्यक है जो जीवन के हर पहलू को देख सके ! सामाजिक जीवन की जानकारी ही न होगी तो दृष्टिकोण बेचारा क्या करेगा?” लाच्क्नो के नागर, मध्यवर्गीय सामाजिक जीवन का अन्तरंग और सजीव चित्रण करनेवाला यह उपन्यास हिंदी उपन्यास-परंपरा में एक कालजयी कृति माना जाता है !
Hindi.
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