महाभारत भारतीय चिन्तन का विशाल विश्वकोश है। पंडितों में यह भी जल्पना कल्पना चलती रहती है कि इसका कौन-सा अंश पुराना है, कौन-सा अपेक्षाकृत नवीन । कई प्रकार की समाज व्यवस्था का पाया जाना विभिन्न कालों में लिखे गये अंशों के कारण भी हो सकता है। फिर इस ग्रंथ में अनेक श्रेणी के लोगों के आचार-विचार की चर्चा है। सब प्रकार की बातों की संगति बैठना काफी कठिन हो जाता है। इस ग्रंथ का हिन्दी में अनुवाद करके श्रीमती पुष्पा जैन ने उत्तम कार्य किया है। इस अनुवाद के लिये वे सभी सहृदय पाठकों की बधाई की अधिकारिणी हैं।