पहाड़ में फूल : कोरियाई कविता संग्रह /
edited by:जो, किम वू चौहान, कर्ण सिंह
अनुवादक किम वू जो और कर्ण सिंह चौहान
- नई दिल्ली: राजकमल प्रकाशन, 2005.
- 247p.
Includes bibliography and index.
यह सही है कि आधुनिकता अपने चरित्र और प्रकृति के सामान्य गुणों में वैश्विक है लेकिन उसका अपना देशीय चरित्र और प्रकृति भी होती है जो किसी देश, समाज, संस्कृति, परम्परा के अनेकानेक तत्त्वों को समाहित कर विशिष्ट स्वरूप ग्रहण कर लेती है। कोरिया के आधुनिक साहित्य या कविता के संदर्भ में आधुनिक विकास के सामान्य साँचे के साथ ही उसकी निजी विशेषताओं पर ध्यान देना और अधिक महत्त्वपूर्ण है। तीन ओर से रूस, चीन और जापान जैसी बड़ी शक्तियों से घिरा होने के कारण कोरिया को अपनी अस्मिता और निजी पहचान बनाए रखने के लिए हमेशा ही अतिरिक्त प्रयास करने पड़े हैं।
कविता संस्कृति विशिष्ट होती है और उसमें भी कोरिया की कविता का वैशिष्ट्य उसकी परिस्थितियों से और घनीभूत हो गया है। बड़े शक्तिशाली पड़ोसियों से घिरा एक छोटा देश, चीनी, जापानी और बाद में और भी कई के आधिपत्य से सताया देश, अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए हमेशा ही विदेशी के प्रति शंकालु रहा देश अगर बाहर के प्रभावों से प्रायः अछूता रह अपने ही मुहावरों में उतरता जाए तो यह स्वाभाविक ही है। इसलिए कविता की गहनतम बारीकियों में उतरते चले जाना कवियों को कुछ ऐसा दर्जा दे देता है जिन्हें 'कवियों के कवि' जैसे कथन से समझा जा सकता है। इसीलिए अनुवादक को यहाँ ऐसी संस्कृतियों के बीच पुल का काम भी करना होता है जो एक दूसरे से भिन्न और अपरिचित हैं। उन संस्कृतियों के बीच अनुवाद सुकर होता है जो या तो समान हैं (जैसे यूरोपीय देशों और अमेरिका की) या उन देशों के साहित्य के बींच भी जिन्होंने लम्बे काल में एक दूसरे से प्रभाव ग्रहण किए हों (जैसे अंग्रेजी से हिन्दी या अन्य भारतीय भाषाओं में)।
इन कविताओं का अनुवाद करते समय अर्थ को बाधित होने से बचाने की हर सम्भव कोशिश की गई है और मूल पाठ के आस्वादन की ओर पाठक को प्रेरित किया गया है।
Hindi.
9788126710768
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