चतुरसेन, आचार्य | Chatursen, Acharya

वैशाली की नगरवधू / Vaishali Ki Nagarvadhu by Acharya Chatursen आचार्य चतुरसेन - प्रयागराज: लोकभारती प्रकाशन, 2022. - 440p.

‘वैशाली की नगरवधू’ की गणना हिन्दी के श्रेष्ठतम ऐतिहासिक उपन्यासों में की जाती है। आचार्य चतुरसेन शास्त्री ने स्वयं भी इसे अपनी उत्कृष्टतम रचना मानते हुए इसकी भूमिका में लिखा था कि निरन्तर चालीस वर्षों की अर्जित अपनी सम्पूर्ण साहित्य-सम्पदा को मैं आज प्रसन्नता से रद्द करता हूँ; और यह घोषणा करता हूँ कि आज मैं अपनी यह पहली कृति विनयांजलि सहित आपको भेंट कर रहा हूँ। कथा उस अम्बपाली की है जो शैशवावस्था में आम के एक वृक्ष के नीचे पड़ी मिली और बाद में चलकर वैशाली की सर्वाधिक सुन्दर एवं साहसी युवती के रूप में विख्यात हुई। नगरवधू बनने के अनिवार्य प्रस्ताव को उसने धिक्कृत कानून कहा और उसके लिए वैशाली को कभी क्षमा नहीं कर पाई। लेकिन वह अपने देश को प्रेम भी करती है जिसके लिए उसने अपने निजी सुखों का बलिदान भी किया। और अन्त में अपना सर्वस्व त्यागकर बौद्ध दीक्षा ले ली। कई वर्षों तक आर्य, बौद्ध और जैन साहित्य का अध्ययन करने के उपरान्त और लेखक के तौर पर लम्बे समय में अर्जित अपने भाषा-कौशल के साथ लिखित यह उपन्यास न सिर्फ पाठकों के लिए एक नया आस्वाद लेकर आया बल्कि हिन्दी उपन्यास-जगत में भी इसने अपना एक अलग स्थान बनाया जो आज तक कायम है।


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9789393603364


आचार्य चतुरसेन – कृतियाँ--हिंदी साहित्य--उपन्यास
वैशाली – ऐतिहासिक दृष्टिकोण--प्राचीन भारत--साहित्य में चित्रण
भारतीय इतिहास – मौर्य काल (322–185 ई.पू.)--राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य--ऐतिहासिक कथा
समाज और संस्कृति – साहित्य में चित्रण--गणिका परंपरा और सामाजिक संरचना--नारी विमर्श
हिंदी साहित्य – ऐतिहासिक उपन्यास--भारतीय समाज और संस्कृति--अध्ययन और आलोचना

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