सावरकर : कालापानी और उसके बाद /
Savarkar : Kalapani Aur Uske Baad by Ashok Kumar Pandey
अशोक कुमार पांडे
- दिल्ली: राजकमल प्रकाशन, 2022.
- 256p.
यह किताब एक सावरकर से दूसरे सावरकर की तलाश की एक शोध-सिद्ध कोशिश है। सावरकर की प्रचलित छवियों के बरक्स यह किताब उनके क्रांतिकारी से राजनेता और फिर हिन्दुत्व की राजनीति के वैचारिक प्रतिनिधि तथा पुरोधा बनने तक के वास्तविक विकास क्रम को समझने का प्रयास करती है। इसके लिए लेखक ने सावरकर के अपने विपुल लेखन के अलावा उनके सम्बन्ध में मिलने वाली तमाम पुस्तकों, तत्कालीन ऐतिहासिक स्रोतों, समकालीनों द्वारा ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ों आदि का गहरा अध्ययन किया है। यह सावरकर की जीवनी नहीं है, बल्कि उनके ऐतिहासिक व्यक्तित्व को केन्द्र में रखकर स्वतंत्रता आन्दोलन के एक बड़े फ़लक को समझने-पढ़ने का ईमानदार प्रयास है। कहने की ज़रूरत नहीं कि राष्ट्र की अवधारणा की आड़ लेकर क़िस्म-क़िस्म की ऐतिहासिक, राजनीतिक और सामाजिक विकृतियों के आविष्कार और प्रचार-प्रसार के मौजूदा दौर में इस तरह के निष्पक्ष अध्ययन बेहद ज़रूरी हो चले हैं। अशोक कुमार पांडेय ने इतिहास सम्बन्धी अस्पष्टताओं की वर्तमान पृष्ठभूमि में कश्मीर और गांधी के सन्दर्भ में अपनी पुस्तकों से सत्यान्वेषण का जो सिलसिला शुरू किया था, यह पुस्तक उसका अगला पड़ाव है और इस रूप में वर्तमान में एक आवश्यक हस्तक्षेप भी।
Hindi.
9789393768049
विनायक दामोदर सावरकर--भारतीय स्वतंत्रता संग्राम--जीवनी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम (1857-1947)--क्रांतिकारी गतिविधियाँ--स्वतंत्रता सेनानी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह – सेल्युलर जेल--स्वतंत्रता सेनानियों का संघर्ष--इतिहास हिन्दुत्व और भारतीय राजनीति--सावरकर के विचार--वैचारिक विकास भारतीय राष्ट्रवाद--आधुनिक भारत में राष्ट्रवाद--राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव