वाजपेई, अशोक

सीढ़ीयां शुरू हो गई हैं Seediyan Shuroo Ho Gayee Hein / Ashok Vajpayee - New Delhi: Vani Prakashan, - 136p.

इसमें साहित्य, आलोचना, संस्कृति, भाषा और कला उपखण्डों से, जो विवेचन प्रस्तुत किया है, वे विधा की, विषयानुशासन की सीमाओं में हैं। इसके बावजूद यह इस अर्थ में उसका अतिक्रमण है कि इनके माध्यम से वे समय और समाज के प्रश्नों को भी उठाते हैं। अपने तईं उनका उत्तर तलाशने की कोशिश करते हैं। I

9788170554981


Hindi - literature
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Literature

823.08 / VAJ-S