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रसवंती / रामधारी सिंह 'दिनकर'

By: सिंह, रामधारी 'दिनकर' [लेखक ].
Publisher: प्रयागराज: लोकभारती प्रकाशन, 2010Description: 111p. 22 cm.ISBN: 9788180314117.Other title: Raswanti by Ramdhari Singh 'Dinkar'.Subject(s): हिंदी काव्य -- काव्य संग्रह -- छायावादी और राष्ट्रीय चेतना | रामधारी सिंह 'दिनकर' – साहित्यिक योगदान -- आलोचना और व्याख्या -- हिंदी साहित्य का विकास | भारतीय समाज – सांस्कृतिक और दार्शनिक दृष्टिकोण -- साहित्य में राष्ट्रवाद -- सामाजिक चेतना और विचारधारा | वीर रस और श्रृंगार रस काव्य -- रस और अलंकार -- हिंदी साहित्य की परंपरा | हिंदी साहित्य में विचारधारा और दर्शन -- साहित्यिक विशेषताएँ -- राष्ट्रीय और सांस्कृतिक दृष्टिकोणDDC classification: 891.432 Summary: प्रस्तुत पुस्तक ‘रसवन्ती’ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी के आरम्भिक आत्ममंथन युग की रचना है। इसमें कवि के व्यक्तिपरक सौन्दर्यबेषी मन और सामाजिक चेतना से उत्तम बुद्धि के परस्पर संघर्ष का तटस्थ द्रष्टा नहीं दोनों के बीच से कोई राह निकालने की चेष्टा में संलग्न साधक के रूप में मिलता है। इस काव्य संग्रह में गीत-शिशु, रसवन्ती, गीत-अगीत, बालिका से वधू, प्रीति, दाह की कोयल, नारी, अगुरु-धूम, रस की मुरली, मानवती, नारी, पुरुष-प्रिया, गीत, अन्तर्वासिनी, पावस-गीत कत्तिन का गीत, मरण, समय, आश्वासन, कवि, कालिदास, विजन में, प्रभाती, संध्या, अगेय की ओर, सावन में, भ्रमरी, रहस्य, संबल, प्रतीक्षा, शेष गान कविताएँ संग्रहित हैं। इसकी प्रांजल प्रवाहमयी भाषा, उच्चकोटि का छंद विधान और सहज भाव सम्प्रेषण काव्य प्रेमियों को अवश्य पसंद आएगी।
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891.432 SIN-R (Browse shelf) Available 54585

प्रस्तुत पुस्तक ‘रसवन्ती’ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी के आरम्भिक आत्ममंथन युग की रचना है। इसमें कवि के व्यक्तिपरक सौन्दर्यबेषी मन और सामाजिक चेतना से उत्तम बुद्धि के परस्पर संघर्ष का तटस्थ द्रष्टा नहीं दोनों के बीच से कोई राह निकालने की चेष्टा में संलग्न साधक के रूप में मिलता है। इस काव्य संग्रह में गीत-शिशु, रसवन्ती, गीत-अगीत, बालिका से वधू, प्रीति, दाह की कोयल, नारी, अगुरु-धूम, रस की मुरली, मानवती, नारी, पुरुष-प्रिया, गीत, अन्तर्वासिनी, पावस-गीत कत्तिन का गीत, मरण, समय, आश्वासन, कवि, कालिदास, विजन में, प्रभाती, संध्या, अगेय की ओर, सावन में, भ्रमरी, रहस्य, संबल, प्रतीक्षा, शेष गान कविताएँ संग्रहित हैं। इसकी प्रांजल प्रवाहमयी भाषा, उच्चकोटि का छंद विधान और सहज भाव सम्प्रेषण काव्य प्रेमियों को अवश्य पसंद आएगी।

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