000 | 03428nam a22002297a 4500 | ||
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999 |
_c23290 _d23290 |
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020 | _a9789332704978 | ||
082 |
_a923.33092 _bDEE- |
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245 | _aदीनदयाल उपाध्याय एवं भारतीय अर्थव्यवस्था | ||
246 | _aDeendayal Upadhyay evam Bharatiya arthvyavastha | ||
260 |
_aनई दिल्ली _bऐकडेमिक फाउंडेशन _c2019 |
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300 | _axv, 136p. | ||
520 | _aभारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में तीव्र गति से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। यहाँ संसाधनों की उपलब्धता भी तेजी से बढ़ रही है। आज भारत का विकास दर दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तीत्र गति से विकास पथ पर अग्रसर है। भारत शीघ्र ही विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर गतिशील है। परंतु यह विडम्बना भी है कि आज भारत में विश्व की सर्वाधिक गरीबी एवं कुपोषण विद्यमान है। ऐसा इसलिए है कि हमने भारतीय संस्कृति के अनुरूप आर्थिक रणनीतियों को नहीं अपनाया। अपितु पश्चिमी मॉडल का अवांछित अनुसरण करते चले जा रहे हैं। इन परिस्थितियों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक चिंतन के अनुरूप आर्थिक रणनीति अपनाने के क्रम में इस पुस्तक में विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने का प्रयास किया गया है। इस चिंतत्न के अध्ययन का उद्देश्य समाज के अंतिम छोर तक विकास के प्रकाश को पहुंचाना है। यह पुस्तक आर्थिक चिंतकों, नीति-निर्माताओं व शोधकर्ताओं को द्वीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विकास के मॉडल को समझने हेतु अत्यंत उपयोगी साबित होगी। | ||
546 | _aHindi Book | ||
650 |
_aEconomic Policy _vEconomic Development _vAgricultural Growth _zIndia |
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650 |
_aDeendayal Upadhyay 1916-1968 _vIndian Economy _vHuman Philosophy _zIndia |
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700 | _aअग्रवाल, मनोज कुमार | ||
700 | _aकर्ण, विजय कुमार | ||
710 | _aभारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसन्धान परिषद्, नई दिल्ली | ||
796 | _aAgrawal, Manoj Kumar | ||
796 | _aKarn, Vijay Kumar | ||
942 |
_2ddc _cBK |