000 | 07667nam a2200193Ia 4500 | ||
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999 |
_c37095 _d37095 |
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041 | _aHindi | ||
082 | _aRK.0337 | ||
100 |
_aकुमार, संजीव _uजेo वीo जैन कॉलेज _vसहारनपुर |
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245 | 0 |
_aसूक्ष्म स्तरीय नियोजन हेतु ग्रामीण संसाधनों का मूल्यांकन (पश्चिमी उ प्र के सहारनपुर मण्डलीय क्षेत्र का भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में गहन अध्ययन) / _cसंजीव कुमार |
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260 |
_aNew Delhi : _bICSSR, _c2015-16 |
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300 | _a266p. ; | ||
504 | _aInclude bibliographical references. | ||
520 | _aप्रस्तुत शोध का लक्ष्य सहारनपुर मण्डल में विकास खण्ड स्तर पर पूर्व दशाओं के सर्वेक्षण के आधार पर ग्रामीण क्षेत्र के संसाधनों एवं विकास की अवस्थाओं को ध्यान में रखकर वर्तमान एवं भावी समन्वित ग्रामीण विकास के लिए योजना तैयार करना है। क्षेत्रीय अध्ययन पर आधारित इस योजना निर्माण के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दोनों उद्देश्य हैं। सैद्धान्तिक स्तर पर यह शोध प्रबन्ध समन्वित क्षेत्रीय विचार की भौगोलिक विचारधाराओं एवं विधितन्त्रों का मूल्यांकन कर विषय के सैद्धान्तिक पक्ष को सुदृढ़ एवं समाज के लिए उपयोगी बनाने का प्रयास करेगा। साथ ही इस अध्ययन में उपलब्ध विकास के विभिन्न मॉडलों का अध्ययन क्षेत्र में परीक्षण करके उनकी सार्थकता परखी जायेगी। व्यावहारिक स्तर पर यह शोध कार्य ग्रामीण क्षेत्रों के असन्तुलित विकास की असमानताओं को दूर करने के लिए एक सशक्त योजना प्रस्तुत करेगा जिससे विकास के विभिन्न कार्यक्रमों को क्रियान्वित करते समय इस अध्ययन की गहनता, नीति निर्णायकों को विकास खण्डों की योजना बनाते समय भी एक प्रतिदर्शक अध्ययन की तरह सहायक सिद्ध हो सके। सूक्ष्म स्तर नियोजन:- समन्वित ग्रामीण विकास का रूपान्तरण है। लाइन्टीग्रेटिड शब्द समन्वित की व्युत्पत्ति लैटिन शब्द इन्टीग्रेटेड से हुईं हैं। इसका अभिप्राय समन्वयता या सर्वागीणता से है। “रूरल” शब्द ग्रामीण उस क्षेत्र के लिए प्रयुक्त है, जो नगरीय क्षेत्रों से कार्यात्मक व आकारीय दृष्टिकोण से बिल्कुल भिन्न है। विकास का अर्थ मानव समाज के समाजिक व आर्थिक स्तर की उन्नति से लिया जाता है। वास्तव में समन्वित ग्रामीण विकास अनेक प्रक्रियाओं के अन्तर्गत संस्थाओं के निर्माण एवं संस्थागत सुविधाओं के सदुपयोग हेतु प्रायोजित गतिविधियों पर आधारित अपेक्षाकृत अधिक सन्तुलित, विस्तृत एवं सर्वागीण विकास का एक उपागम है। इसमें भौगोलिक, आर्थिक एवं समाजिक समन्वय का प्रयास किया जाता है, और क्षेत्र के स्थानिक संसाधनों, मानव भूमि एवं जल संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था को चहुँमुखी विकास की ओर प्रेरित किया जाता हैं। जिसके लिए भौतिक परिवेश में सामाजिक एवं आर्थिक क्रियाओं के निमित्त उपयुक्त अवस्थिति का निर्धारण विशेष महत्त्वपूर्ण है। इसके लिए उत्पादन कार्यकलापों तथा सेवाओं के अवसर में वृद्धि कर, ग्रामीण समुदाय को “मानव के हित में स्थापित करते हैं। तथा विभिन्न प्रखण्डों में समन्वय के कालिक एवं क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य में परिस्थितियों एवं पर्यावरणीय समस्याओं का निराकरण किया जाता हैं। इस प्रकार यह कार्यक्रम ग्रामोण विकास के सन्दर्भ में विविध प्रकार के समन्वयों पर आधारित है जिसका परम उद्देश्य ग्रामीण अंचल में निवास करने वाली जनसंख्या को रोजगारक्ष्य में उसे अभीष्टतमके पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराना तथा वीर्घकालिक परिप्र जीवन स्तर हेतु विविध सेवायें एवं सुविधायें उपलब्ध कराना है | ||
536 | _aIndian Council of Social Science Research. | ||
546 | _aHindi | ||
650 |
_aसूक्ष्म स्तर नियोजन _aग्रामीण संसाधनों _xभूगोल _zपश्चिम यूपी - भारत |
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650 |
_aग्रामीण नियोजन _xभूगोल _zपश्चिम यूपी - भारत |
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942 |
_cRP _2ddc |