000 | 01965nam a2200181 4500 | ||
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999 |
_c38399 _d38399 |
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020 | _a9788180315633 | ||
041 | _ahin- | ||
082 |
_a930.10285 _bBHA-M |
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100 | 1 |
_aभट्टाचार्य, सुखमय _qBhattacharya, Sukhmay _eलेखक. _eauthor. |
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245 | 1 | 0 |
_aमहाभारतकालीन समाज / _cसुखमय भट्टाचार्य |
246 | _aMahabharatkaaleen Samaj | ||
260 |
_aप्रयागराज : _bलोकभारती प्रकाशन, _c2010. |
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300 | _a641p. | ||
520 | _aमहाभारत भारतीय चिन्तन का विशाल विश्वकोश है। पंडितों में यह भी जल्पना कल्पना चलती रहती है कि इसका कौन-सा अंश पुराना है, कौन-सा अपेक्षाकृत नवीन । कई प्रकार की समाज व्यवस्था का पाया जाना विभिन्न कालों में लिखे गये अंशों के कारण भी हो सकता है। फिर इस ग्रंथ में अनेक श्रेणी के लोगों के आचार-विचार की चर्चा है। सब प्रकार की बातों की संगति बैठना काफी कठिन हो जाता है। इस ग्रंथ का हिन्दी में अनुवाद करके श्रीमती पुष्पा जैन ने उत्तम कार्य किया है। इस अनुवाद के लिये वे सभी सहृदय पाठकों की बधाई की अधिकारिणी हैं। | ||
546 | _aHindi. | ||
650 | _aमहाभारतकालीन समाज. | ||
942 |
_2ddc _cBK |