000 | 03716nam a2200241 4500 | ||
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999 |
_c38415 _d38415 |
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020 | _a9788126700257 | ||
041 | _ahin- | ||
082 |
_a309.154 _bSRI-B |
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100 | 1 |
_aश्रीनिवास, एम. एन. _qSrinivas, M.N. _eलेखक. _eauthor. |
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245 | 1 | 0 |
_aभारत के गाँव / _cएम. एन. श्रीनिवास |
246 | _aBharat ke Gaanv | ||
260 |
_aदिल्ली : _bराजकमल प्रकाशन, _c2023. |
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300 | _a179p. | ||
504 | _aIncludes bibliographical references and index. | ||
520 | _aभारत, ब्रिटेन और अमेरिका के प्रमुख समाजशास्त्रियों द्वारा लिखे गए निबन्धों के इस संग्रह में भारत के चुनिन्दा गाँवों और उनमें हो रहे सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तनों के विवरण प्रस्तुत हैं। हर निबन्ध एक क्षेत्र के एक ही गाँव या गाँवों के समूह के गहन अध्ययन का परिणाम है। यह निबन्ध एक विस्तृत क्षेत्र का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं, उत्तर में हिमाचल प्रदेश से लेकर दक्षिण में तंजौर तक और पश्चिम में राजस्थान से लेकर पूर्व में बंगाल तक । सर्वेक्षित गाँव सामुदायिक जीवन के विविध - प्रारूप प्रस्तुत करते हैं, लेकिन इस विविधता में ही कहीं उस एकता का सूत्र गुँथा है जो भारतीय ग्रामीण दृश्य का लक्षण है। गहरी धँसी जाति व्यवस्था और गाँव की एकता का प्रश्न हाल के वर्षों में बढ़े औद्योगीकरण और शहरीकरण के ग्रामीण विकास के लिए सरकारी योजनाओं और शिक्षा के प्रभाव कुछ ऐसे पक्ष हैं जिसकी विद्वत्तापूर्ण पड़ताल हुई है। आज भी, भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी 80 प्रतिशत जनसंख्या उसके पाँच लाख गाँवों में रहती है, और उन्हें बदल पाने के लिए उनके जीवन की स्थितियों की जानकारी जरूरी है। भारत के गाँव जिज्ञासु-सामान्य जन और ग्रामीण भारत को जाननेवाले विशेषज्ञों के लिए ग्रामीण भारत का परिचय उपलब्ध करवाती है । | ||
546 | _aHindi. | ||
650 | _aभारत. | ||
650 | _aगांवों. | ||
650 | _aग्रामीण परिस्थितियाँ. | ||
650 | _aसामाजिक स्थिति. | ||
650 | _aशिष्टाचार और रीति-रिवाज. | ||
942 |
_2ddc _cBK |