000 02418nam a2200229 4500
999 _c39345
_d39345
020 _a9788180314995
041 _ahin-
082 _a891.433
_bYAS-A
100 _aयशपाल,
_eलेखक.
245 _aअमिता /
_cलेखक यशपाल.
260 _aप्रयागराज:
_bलोकभारती प्रकाशन,
_c2010.
300 _a164p.
504 _aIncludes bibliography and index.
520 _a'अमिता' उपन्यास साहित्यकार यशपाल का 'दिव्या' की भाँति ऐतिहासिक है। ‘अमिता’ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में कल्पना को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास है। इस उपन्यास के प्राक्कथन में यशपाल स्वयं इसके मूल मन्तव्य की ओर इशारा करते हैं–‘विश्वशान्ति के प्रयत्नों में सहयोग देने के लिए मुझे भी तीन वर्ष में दो बार यूरोप जाना पड़ा है। स्वभावतः इस समय (1954-1956) में लिखे मेरे इस उपन्यास में, मुद्दों द्वारा लक्ष्यों को प्राप्त करने अथवा समस्याओं को सुलझाने की नीति की विफलता का विचार कहानी का मेरुदंड बन गया है।’
546 _aHindi.
650 _aयशपाल
_vकृतियाँ
_xहिंदी साहित्य
650 _aहिंदी उपन्यास
_vकथा साहित्य
_xसामाजिक और व्यक्तिगत संघर्ष
650 _aभारतीय साहित्य
_vहिंदी
_xसमकालीन साहित्य
650 _aनारीवाद
_vसाहित्य
_xहिंदी उपन्यास में स्त्री विमर्श
650 _aसाहित्यिक विश्लेषण
_vअध्ययन
_xयशपाल के उपन्यास
942 _2ddc
_cBK