000 | 04783nam a2200253 4500 | ||
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999 |
_c39398 _d39398 |
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020 | _a9788189962913 | ||
041 | _ahin- | ||
082 |
_a891.443 _bRAY-W |
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100 |
_aराय, सत्यजीत _eलेखक _qSatyajit Ray |
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245 |
_aवाह बारह / _cसत्यजित राय |
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246 | _aWAAH BAARAH by Satyajit Ray | ||
260 |
_aनई दिल्ली: _bरेमाधव पब्लिकेशन प्रा. लिमिटेड, _c2023. |
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300 | _a152p. | ||
504 | _aIncludes Bibliography and Index. | ||
520 | _aअपनी फिल्मों के जरिये पूरी दुनिया में असाधारण शोहरत हासिल करनेवाले सत्यजित राय ने अपने लेखन से भी अपार लोकप्रियता हासिल की। अपनी अति व्यस्तता के बावजूद उन्होंने बांग्ला भाषा में जिस विपुल परिमाण में साहित्य लेखन किया, वह किसी को भी विस्मित कर सकता है। अपने पितामह उपेन्द्र किशोर रायचौधरी और पिता सुकुमार राय की तरह किशोरों के लिए साहित्य-सृजन की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने जासूस फेलूदा, वैज्ञानिक प्रोफेसर शंकु और बातूनी तारिणी चाचा जैसे नायाब पात्रों को साकार किया। यथार्थ और कल्पना तथा लौकिक और अलौकिक के मेल से उन्होंने दर्जनों ऐसे पात्रों और प्रसंगों को अपनी कहानियों में जीवन्त किया, जिन्हें भुला पाना असम्भव है। सत्यजित राय की कहानियाँ अकल्पनीय रहस्य-रोमांच से भरपूर हैं, पर ये कहानियाँ परम्परागत रहस्य-रोमांच की कहानियों से बिलकुल भिन्न एक नई भाव-भूमि, एक नए संसार से साक्षात्कार कराती हैं। उनकी अधिकतर कहानियाँ हमारी जानी-पहचानी जगहों और लोगों के बीच से ही कुछ ऐसा उद्घाटित करती हैं जो हमें रोमांचित कर देता है और हमारी कल्पनाशीलता को नई गति प्रदान करता है। ‘वाह बारह’ में सत्यजित राय के लेखन की तमाम रंगतों की बानगी पेश करने वाली एक दर्जन चुनिन्दा कहानियाँ संकलित हैं, जिन्हें पढ़ना निश्चय ही एक अविस्मरणीय अनुभव से गुजरना होगा। | ||
546 | _aHindi. | ||
650 |
_aबंगाली साहित्य – कहानियाँ _vलघु कथाएँ _xआधुनिक बंगाली साहित्य |
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650 |
_aसत्यजीत राय – साहित्यिक योगदान _vआलोचना और व्याख्या _xबंगाली कथा साहित्य |
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650 |
_aभारतीय समाज – सामाजिक और सांस्कृतिक चित्रण _vसाहित्य में समाजशास्त्र _xसमाज और व्यक्ति के संबंध |
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650 |
_aरहस्य और रोमांच कहानियाँ _vसाहित्यिक विशेषताएँ _xकथानक और चरित्र चित्रण |
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650 |
_aहिंदी और बंगाली साहित्य की तुलनात्मक दृष्टि _vसाहित्यिक अध्ययन _xकथा साहित्य में विविधता |
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700 |
_aगोस्वामी, अमर _eअनुवादक |
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942 |
_2ddc _cBK |