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020 _a9789393768186
041 _ahin-
082 _a891.433
_bSHA-S
100 _aशंकर, जय | Shankar, Jai
_eलेखक | Author.
_qजय शंकर | Jai Shankar
245 _aसर्दियों का नीला आकाश /
_cजय शंकर
246 _aSardiyon Ka Neela Aakash by Jai Shankar
260 _aदिल्ली:
_bराजकमल प्रकाशन,
_c2022.
300 _a200p.
520 _aहमारा जीवन घटनाओं की स्थूल शृंखला भर नहीं होता। क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं के मशीनी क्रम के समानांतर मन की भित्ति पर घटित होने वाला एक और जीवन हम जीते रहते हैं। आशा, आकांक्षा, हताशा, पश्चाताप, प्रेम और स्मृतियों का जीवन जिससे हम अपने एकांत में संवाद करते हैं। होने के दायित्व तले दबी हमारे आत्मबोध की एक बाँह जो हमें अपने होने के प्रति सचेत भी रखती है, हमें वापस स्थूल संसार में जाने का हौसला भी देती है, हमें सँभालती भी है। हिंदी में जिन कुछ कहानीकारों ने मनुष्य के आस्तित्विक यथार्थ के इस पक्ष को प्रकाशित किया है उनमें जयशंकर भी शामिल हैं। जयशंकर की कहानियों में मनःस्थितियों के स्ट्रोक्स एक चित्रकथा की सी बिम्बावली बनाते हैं, जिनके बीच से गुज़रते हुए हमें अपना अतीत, बीते हुए वे क्षण जिन्हें रोज़मर्रा की भागदौड़ में हम अनदेखा किए रहते हैं, स्मृति की कौंध में झिलमिलाते दिखने लगते हैं। प्रकृति का सजीव, साँस लेता सुदीर्घ लैंडस्केप, हल्की गर्द की तरह धूप में तैरती उदासी, ज़िन्दगी का ठहराव, दिनों का दोहराव, नासूर की तरह दुखता व्यर्थता बोध और एक सूक्ष्म दुख जो आत्मा के ख़ालीपन से, अस्तित्व की अपूर्णता से उपजता है, उनकी इन कहानियों का भूगोल है। सर्दियों का नीला आकाश जयशंकर का नया कहानी संग्रह है। अपने अलग-अलग परिवेश में अपने-अपने जीवन के अर्थान्वेषण में डूबे इन कहानियों के पात्र हम पाठकों को मनुष्य के रूप में अपनी इयत्ता के प्रति नए सिरे से सजग और संवेदनशील बनाते हैं।
546 _aHindi.
650 _aहिंदी साहित्य
_vउपन्यास
_xसमकालीन हिंदी कथा साहित्य
650 _aभारतीय समाज
_vसाहित्य में चित्रण
_xसामाजिक संरचना और परिवर्तन
650 _aहिंदी उपन्यास (21वीं सदी)
_vसाहित्यिक अध्ययन
_xआधुनिक हिंदी कथा
650 _aमानवीय संबंध
_vसाहित्य में चित्रण
_xप्रेम, संघर्ष और समाज
650 _aजयशंकर – कृतियाँ
_vसाहित्यिक आलोचना
_xकथा शैली और भाषा
942 _2ddc
_cBK