000 | 02061nam a22001697a 4500 | ||
---|---|---|---|
999 |
_c39442 _d39442 |
||
020 | _a97893500092291 | ||
082 |
_a891.431 _bNAG-A |
||
100 | _a नागार्जुन | ||
245 |
_aऐसे भी हम क्या! ऐसे भी तुम क्या! _cBy नागार्जुन |
||
260 |
_aनई दिल्ली: _bवाणी प्रकाशन, _c2012. |
||
300 | _a70p. | ||
520 | _aऐसे भी हम क्या! ऐसे भी तुम क्या! - नागार्जुन अपनी उम्र की 73 वीं मंजिल पर पहुँच कर भी नये लेखकों तथा आम जनता से गहन रिश्ता रखने वाले सबसे अधिक ताजगी भरे जन कवि हैं। रामविलास शर्मा ने काफी पहले उनके बारे में लिखा था कि एक ऐसा वक़्त आयेगा जब ‘मध्य वर्ग और किसानों और मजदूरों में भी जन्म लेनेवाले कवि दृढ़ता से अपना सम्बन्ध जन-आन्दोलन से कायम करेंगे द्य तब उनके सामने लोकप्रिय साहित्य और कलात्मक सौन्दर्य के सन्तुलन की समस्या फिर पेश होगी और तब साहित्य और राजनीति में उनका सही मार्गदर्शन करनेवाले अपनी रचनाओं के प्रत्येक उदाहरण से उन्हें शिक्षित करनेवाले उनके प्रेरक और गुरु होंगे कवि नागार्जुन। | ||
546 | _aHindi | ||
650 | _aHindi Fiction | ||
650 | _aHindi Literature | ||
942 |
_2ddc _cBK |