000 02008nam a22001817a 4500
999 _c39455
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020 _a9788170551669
082 _a891.433
_bNAG-J
100 _aनागार्जुन
245 _aजमनिया का बाबा/
_cनागार्जुन
246 _aJamaniya Ka Baba
260 _aनई दिल्ली:
_bवाणी प्रकाशन,
_c2020.
300 _a140p.
520 _aमैंने बहुत सोच-समझ कर जमनिया को अपना अड्डा बनाया। पहली बात तो यह थी कि मुझे पिछड़ी जातियों से विशेष प्रेम है। साधुओं का जितना आदर वे करती हैं, उतना और कोई नहीं करता। ऊँची जातियों के बड़े लोग मूर्ख साधुओं का मखौल उड़ाते हैं। भेस और रंग के पीछे वे ज्ञान की परख करते हैं। पक्की भाषा में बड़ी-बड़ी बातें करने वाला साधु ही उन्हें प्रभावित कर सकता है। हमारे जैसों के लिए अनपढ़ भगत ही काम का साबित होता है। जमनिया के इर्द-गिर्द लाखों की तादाद में ग़रीब और अनपढ़ लोग फैले हैं। दूसरा लाभ था नेपाल का नज़दीक होना। शासन की तीसरी आँख से बचने के लिए न जाने कितनी बार नेपाल भाग-भाग कर गया हूँ।
546 _aHindi
650 _aHINDI FICTION
650 _aHINDI LITERATURE
942 _2ddc
_cBK