000 | 01235nam a22001817a 4500 | ||
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999 |
_c39475 _d39475 |
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020 | _a9788170554981 | ||
082 |
_a823.08 _bVAJ-S |
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100 | _aवाजपेई, अशोक | ||
245 | _aसीढ़ीयां शुरू हो गई हैं | ||
246 | _aSeediyan Shuroo Ho Gayee Hein / Ashok Vajpayee | ||
260 |
_aNew Delhi: _bVani Prakashan, |
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300 | _a136p. | ||
520 | _aइसमें साहित्य, आलोचना, संस्कृति, भाषा और कला उपखण्डों से, जो विवेचन प्रस्तुत किया है, वे विधा की, विषयानुशासन की सीमाओं में हैं। इसके बावजूद यह इस अर्थ में उसका अतिक्रमण है कि इनके माध्यम से वे समय और समाज के प्रश्नों को भी उठाते हैं। अपने तईं उनका उत्तर तलाशने की कोशिश करते हैं। I | ||
650 | _aHindi - literature | ||
650 | _a Hindi - criticism | ||
650 | _aLiterature | ||
942 |
_2ddc _cBK |