000 | 02540nam a22002297a 4500 | ||
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999 |
_c39483 _d39483 |
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020 | _a9789350725740 | ||
041 | _ahindi | ||
082 |
_a891.431 _bKAL-M |
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100 |
_aकालिदास _qKalidas _eauthor |
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245 |
_aमेघदूत/ _cBy नागार्जुन |
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246 | _aMeghdoot | ||
250 | _a2nd | ||
260 |
_aनई दिल्ली: _bवाणी प्रकाशन, _c2020. |
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300 | _a98p. | ||
520 | _aमेघदूत' में, विशेषतः पूर्वमेघ में कवि ने प्रकृति के बाह्यरूपों का चमत्कार दिखलाया है। परन्तु वह क्षण-भर के लिए भी मानवीय भावना को अपने शब्दशिल्प से पृथक् नहीं होने देता। मेघ को भी तो उसने मेघमात्र नहीं रहने दिया। मेघ यक्ष का साथी है, भाई है। उम्र में छोटा ही समझिए ! भाई का कुशल समाचार उसे भाभी तक पहुँचाना है। थकने पर वह पहाड़ों पर उतरकर सुस्ता लेता है, प्यास लगने पर नदियों का पानी पीता है। भारी हो उठता है, तो बरस बरस कर हल्का हो लेता है। मानसरोवर की तरफ जानेवाले हंस उसका साथी बनते हैं और हरिण उसे राह दिखाते हैं। नदियों से मेघ का प्रेम-सम्बन्ध है, यक्ष की हिदायत है कि वह उनकी उपेक्षा न करे; ज़रा देर हो तो हो, मगर अपनी प्रेयसियों का दिल न तोड़ना ! विरहजनित उनकी कृशता जैसे भी मिटे, वैसा करना | ||
546 | _aHindi | ||
650 |
_aHindi Literature _vPoetry _xAdaptations _zIndia |
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650 |
_aहिंदी साहित्य _vकाव्य _xरूपांतरण _zभारत |
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700 |
_aनागार्जुन _eअनुवादक |
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700 |
_aNagaarjun _eTranslater |
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942 |
_2ddc _cBK |