000 03688 a2200241 4500
999 _c39634
_d39634
020 _a9788126728824
041 _ahin-
082 _a891.433
_bNAG-B
100 _aनागर, अमृतलाल
_eलेखक
245 _aबूँद और समुद्र /
_cअमृतलाल नागर
246 _aBoond Aur Samudra by Amritlal Nagar
260 _aनई दिल्ली:
_bराजकमल प्रकाशन,
_c2018.
300 _a472p.
504 _aIncludes Bibliography and Index.
520 _aपठनीयता के बल पर हिंदी उपन्यास को ख्याति और प्रतिष्ठा दिलाने वालों में अमृतलाल नागर का नाम अग्रणी है ! कई पीढ़ियों ने उनकी कलम से निकले हृदाग्रही कथा-रस का आस्वाद लिया है ! कथा-साहित्य के कई अविस्मरणीय चरित्रों की सृष्टि का सेहरा भी नागरजी के ही सर बंधा है ! डॉ रामविलास शर्मा ने लिखा, “हिंदी के कुछ लेखक मार्क्सवाद पर पुस्तकें भी लिख चुके हैं लेकिन उनके पत्र वैसे सजीव नहीं होते, जैसे गाँधीवादी लेखक अमृतलाल नागर के सेठ बंकेमल या बूँद और समुद्र की ताई ! इसका कारन यह है की मार्क्सवाद या गांधीवाद ही किसी लेखक को कलाकार नहीं बना देता ! कथाकार बनाने के लिए मार्मिक अनुभूति आवश्यक है जो जीवन के हर पहलू को देख सके ! सामाजिक जीवन की जानकारी ही न होगी तो दृष्टिकोण बेचारा क्या करेगा?” लाच्क्नो के नागर, मध्यवर्गीय सामाजिक जीवन का अन्तरंग और सजीव चित्रण करनेवाला यह उपन्यास हिंदी उपन्यास-परंपरा में एक कालजयी कृति माना जाता है !
546 _aHindi.
650 _aहिंदी उपन्यास
_vसामाजिक यथार्थ
_xआधुनिक हिंदी साहित्य
650 _aभारतीय समाज – सामाजिक चित्रण
_vसाहित्य में समाजशास्त्र
_xसामाजिक परिवर्तनों का चित्रण
650 _aहिंदी साहित्य – कथा और शैली
_vसाहित्यिक विशेषताएँ
_xकथानक और चरित्र चित्रण
650 _aअमृतलाल नागर – साहित्यिक योगदान
_vआलोचना और व्याख्या
_xहिंदी कथा साहित्य
650 _aहिंदी साहित्य का विकास
_v20वीं शताब्दी
_xभारतीय साहित्यिक परंपरा
942 _2ddc
_cBK